जालौन के कलेक्टर ने लालू को बचाने जज को किया था फोन

asiakhabar.com | January 10, 2018 | 5:26 pm IST

रांची। चारा घोटाले के तहत देवघर कोषागार से अधिक पैसा निकासी में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को जेल की सजा सुनाने वाले जज शिवपाल सिंह को अपने पैतृक गांव में न्याय पाने के लिए तरसना पड़ा था। कुछ समय पूर्व ही न्याय मांगने पर उन्हें कानून का ज्ञान हासिल करने की नसीहत देने वाले जिले के अधिकारियों ने लालू को बरी करने के लिए उनसे सिफारिश की थी, जिसे जज ने अनसुना कर दिया। सिफारिश करने वालों में जालौन के कलेक्टर भी शामिल थे। अब इन्ही कलेक्टर साहब ने लालू को बचाने के लिए जज शिवपाल को फोन किया था।

उप्र के शेखपुर गांव के हैं जज

सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के शेखपुर खुर्द गांव के निवासी हैं। गांव में कुछ लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा जमा लिया। विरोध करने पर उनके भाई सुरेंद्र पाल सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया। विरोधी जमीन पर कब्जा कर खेती कर रहे हैं। साथ ही जबरन जमीन से चक रोड निकाल दिया है। जज शिवपाल सिंह ने खुद जिला कलेक्टर से न्याय मांगा, लेकिन समस्याएं दूर नहीं हुईं। छह नवंबर, 2015 को वहां के तत्कालीन एसडीएम ने जमीन को मुक्त कराने का निर्देश दिया था।

इसके बाद बीडीओ और ग्राम प्रधान की उपस्थिति में 1700 रुपए के पत्थर गड़वाए गए थे। इन्हें भी विरोधियों ने उखाड़कर फेंक दिया। एसडीएम, तहसीलदार, सीओ और कोतवाल ने कोई कार्रवाई नहीं की तो जज ने कलेक्टर से मदद मांगी, लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला। 12 दिसंबर, 2017 को कलेक्टर और एसपी से शिकायत की तो कलेक्टर ने कहा कि आप झारखंड में जज हैं न, आप कानून पढ़कर आएं। उन्होंने यह भी कहा कि वे एसडीएम के आदेश को नहीं मानेंगे।

गृह जिले के अधिकारियों ने की थी सिफारिश

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को बचाने के लिए जालौन के कलेक्टर व एसडीएम ने सिफारिश की थी। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह को 23 दिसंबर, 2017 को फोन कर बताया कि आप ही लालू का केस देख रहे हैं, जरा देख लीजिएगा। दिलचस्प तथ्य यह है कि जिस कलेक्टर ने शिवपाल सिंह को झारखंड में कानून पढ़कर आने की नसीहत दी थी, उन्होंने ही फोन कर लालू को बचाने की सिफारिश जज से की।

जज को फोन करने वाले डीएम का नाम डॉ. मन्नान अख्तर है। एसडीएम भैरपाल सिंह ने भी सिफारिश के लिए संपर्क साधा। हालांकि जज ने किसी की सिफारिश या दबाव पर ध्यान नहीं दिया।

700 मीटर जूते टांगकर जाना पड़ता है घर

जज शिवपाल सिंह के गांव शेखपुर खुर्द में पक्की सड़क तक नहीं है। उन्हें आज भी यह मलाल है कि पक्की सड़क नहीं होने के कारण उनकी 90 वर्षीय मां का निधन इलाज के अभाव में हो गया था। बारिश होने पर उन्हें 700 मीटर तक जूते हाथ में लेकर घर जाना पड़ता है।

पिता अनपढ़ थे, शिवपाल बने जज

जज शिवपाल सिंह के पिता अनपढ़ थे लेकिन उन्होंने सभी पुत्र-पुत्रियों को अच्छी शिक्षा दी। शिवपाल सिंह पांच भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनकी दो बहनें भी हैं। एक बड़ी हैं और दूसरी छोटी। जज की जेहन में आज भी यह बात कौंधती है कि जब वे पढ़ाई करने के लिए स्कूल जाते थे तो विरोधी उनका रास्ता रोकने का कार्य करते थे। उन्होंने सिहारीदाउदपुर के श्रीअग्नू जूनियर हाई स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। 1978 में सनातन धर्म इंटर कॉलेज पुरई से 10वीं की। इसके बाद स्नातक किया। इलाहाबाद से विधि की पढ़ाई पूरी की। शिवपाल सिंह की पत्नी गोड्डा में एसडीजेएम थीं, लेकिन 13 सितंबर, 2004 को उनका निधन हो गया।


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