लखनऊ। भारतीय रेल नेटवर्क पर सबसे शक्तिशाली इंजन जल्द दौड़ाने की तैयारी है। डीजल चालित इस इंजन की आपूर्ति जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी करेगी। अब तक भारत में डीजल इंजन की क्षमता अधिकतम चार हजार हॉर्स पावर है जबकि इलेक्ट्रिक इंजन पांच हजार हॉर्स पावर के हैं। यह बात रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने कही। वह गुरुवार को आलमबाग डीजल शेड में 4500 हार्स पावर की क्षमता वाले दो डीजल इंजनों के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने 200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार रोजा डीजल मेंटनेंस शेड का भी उद्घाटन किया। जहां 4500 और छह हजार हॉर्स पावर के इंजनों की मरम्मत के आधुनिक साधन होंगे। रेलवे बोर्ड चेयरमैन ने बताया कि भारतीय रेलवे का जीई कंपनी के साथ 2.5 बिलियन डॉलर का करार 2015 में हुआ था। इसके तहत भारत सरकार की पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत एक हजार डीजल इंजनों का विकास और आपूर्ति की जाएगी।
शाहजहांपुर जिले के रोजा के अलावा साबरमती डीजल शेड में इनका मेंटीनेंस किया जाएगा। इसमें 300 इंजन छह हजार हॉर्स पावर के होंगे। यह इंजन जहां तेज गति प्रदान करेंगे वहीं 20 प्रतिशत ईंधन की खपत भी कम होगी। इनकी खासियत यह है कि खराबी आने से पहले सेंसर से पता चल जाएगा कि कितने दिनों बाद इंजन रुक जाएगा।
ड्राइवरों के लिए आरामदायक होने के साथ इसमें एसी, यूरिनल और डिजिटल डिस्पले की भी सुविधा है। सीआरबी ने बताया कि यह नई जेनरेशन का तकनीकी रूप से बहुत एडवांस इंजन है। उन्होंने बताया कि 1989 में डब्ल्यूडीएम दो श्रेणी का इंजन होता था। इसकी क्षमता 2400 हॉर्स पावर की थी।
मेक इन इंडिया का पहला इंजन-
इंजन का निर्माण करने वाली कंपनी जीई ट्रांसपोर्टेशन के प्रेसीडेंट व सीईओ नलिन जैन ने कहा कि यह इतनी अधिक क्षमता वाला पहला मेक इन इंडिया इंजन है। इसे बनाने में 70 प्रतिशत भारतीय कलपुर्जों का इस्तेमाल होगा। इस मौके पर सीनियर डीओएम अजीत सिन्हा और आरडीएसओ के महानिदेशक एम हुसैन, जीएम उत्तर रेलवे विश्र्वेश चौबे सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।