अब भले ही ब्रिटेन भारतीय लोगों और भारत की दिग्गज कंपनियों के आगे नतमस्तक होता है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था। भारत की आजादी के वर्षों बाद तक अंग्रेज भारतीयों के प्रति निम्नता का दृष्टिकोण रखते थे। उनका नजरिया यह भी बना रहा कि भारतीयों के कारण बीमारियां फैलती हैं।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह था कि आजादी के बाद कई दशकों तक ब्रिटेन ने यह नियम लागू कर रखा था कि ‘जो भी व्यक्ति भारत से ब्रिटेन जाएगा, उसे पहले चेचक का टीका लगवाना होगा। यदि यह टीका नहीं लगवाया गया तो जाने वाले का वीसा, यात्रा रद्द कर दिए जाएंगे।’
इस नियम के कारण एक बार अजीबोगरीब स्थिति पैदा हुई। भारत की जवाहरलाल नेहरू सरकार में वित्त मंत्री मोरारजी देसाई को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की ओर से बुलावा आया। दरअसल, ब्रिटिश प्रधानमंत्री चाहते थे कि भारतीय वित्त मंत्री वहां जाएं और दोनों देशों के बीच व्यापार सुगमता को लेकर चर्चा हो। मगर चेचक का टीका लगवाने के नियम के कारण मोरारजी देसाई ने वहां जाने से मना कर दिया। उन्होंने बाकायदा लिख भेजा कि ‘मुझे आने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन मैं चेचक का टीका लगवाना नहीं चाहता।’
तब ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने पत्र लिखकर मोरारजी को यह टीका लगवाने से छूट दे दी। हालांकि जब श्री देसाई जाने की तैयारी कर रहे थे, तब प्रधानमंत्री नेहरू से मिलने पहुंचे। आश्चर्य की बात कि नेहरू ने ब्रिटेन द्वारा भारतीयों के लिए अनिवार्य रूप से टीका लगाने संबंधी नियम की न तो कभी आलोचना की थी, न ही कोई विरोध।
इसलिए उन्होंने मिलने गए मोरारजी से भी पूछा कि ‘क्या आपने जाने से पहले चेचक का टीका लगवा लिया है?’ तब
श्री देसाई ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री का छूट संबंधी पत्र दिखाया। आश्चर्य देखिए कि वह पत्र देखकर प्रधानमंत्री नेहरू भी चौंक गए थे।