चीन की जगह अमेरिका का निवेश हब बने भारतः जस्टर

asiakhabar.com | January 12, 2018 | 4:28 pm IST
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नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक रिश्तों में आई गर्माहट का भविष्य क्या है? भारत में अमेरिका के नवनियुक्त राजदूत केनेथ आई जस्टर ने पद संभालने के बाद पहले सार्वजनिक भाषण में स्पष्ट संकेत दिया कि अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक निवेश हब बना सकता है। इतना ही नहीं भारत-अमेरिका गठबंधन आने वाले वर्षों में वैश्विक पटल की सबसे उल्लेखनीय घटना होने वाली है।

बीजिंग के साथ जारी आर्थिक विवाद के बीच जस्टर ने बगैर किसी लाग लपेट के कहा कि भारत अमेरिकी अर्थव्यवस्था में चीन की जगह लेने की क्षमता रखता है। जिस तरह से अभी रक्षा साझेदारी को रणनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, उसी तरह से आर्थिक रिश्तों को भी देखना होगा।

आगे उन्होंने कहा, “कई अमेरिकी कंपनियों ने चीन में कारोबार करने में दिक्कत बढ़ने की शिकायत की है। कई कंपनियां वहां अपने कारोबार कम कर रही हैं। कई कंपनियां विकल्प तलाश रही हैं। भारत व्यापार व निवेश के इस रणनीतिक मौके का फायदा उठाते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी कारोबार का केंद्र बन सकता है।”

आगे चल कर दोनों देश फ्री ट्रेड समझौते (एफटीए) का रोडमैप भी बना सकते हैं। हालांकि इसमें अभी वक्त लगेगा। यह पहला मौका है, जब अमेरिकी प्रशासन के किसी अधिकारी ने आर्थिक तौर पर भारत को चीन की जगह लेने का प्रस्ताव किया है।

सैन्य निर्माण में होंगी अहम घोषणाएं

अमेरिकी राजदूत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के साथ बढ़ते रक्षा सहयोग की भी रूप-रेखा पेश की। उन्होंने इस क्षेत्र में भारत को लीडर के तौर पर पेश करते हुए कहा कि अगले वर्ष सैन्य सहयोग में कुछ अहम घोषणाएं हो सकती हैं। इसमें नेक्स्ट जेनेरेशन के युद्धक विमान और जमीनी युद्ध लड़ने वाले बेहद आधुनिक वाहनों का संयुक्त तौर पर निर्माण करने से जुड़ी घोषणाएं भी शामिल हो सकती हैं।

जस्टर के शब्दों में, “अमेरिका भारत को वह सारी मदद देने को तैयार है जिससे वह हिंद महासागर और इसके आस पास के इलाके में क्षेत्रीय सुरक्षा व शांति को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी कदम का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए तैयार रहे।”

ऐसे समय जब चीन पूरे हिंद महासागर व प्रशांत महासागर में अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में जुटा है, जस्टर के इस बयान के दूरगामी मायने हैं। अमेरिका को इस बात से भी कोई परेशानी नहीं है कि भारत इन रक्षा उपकरणों का अपने यहां ही उत्पादन करे। अमेरिका भारत को स्थानीय स्तर पर बेहतरीन सैन्य साजो समान बनाने में मदद करेगा, ताकि इस क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं मजबूत रक्षा साझेदार के तौर पर स्थापित हो सकें। इसमें जापान और आस्ट्रेलिया जैसे नए साझेदारों की भी भूमिका होगी।

सीमा पार आतंक बर्दाश्त नहीं

जेस्टर ने भारत के लिए लगातार परेशानी का सबब बने पाकिस्तान को भी सीधा संदेश दिया कि अब सीमा पार आतंक को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के रवैये की वजह से उसे दी जाने वाली दो अरब डॉलर की मदद रोकी गई है। पाकिस्तान का नाम लिये बगैर ही उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत और अमेरिका आगे चल कर स्थानीय या वैश्विक स्तर पर आतंकियों के ठिकाने को नष्ट करने में सहयोग करेंगे।


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