गोस्वामी तुलसीदास की लोक-मंगल दृष्टि ने समाज में आदर्श मूल्यों प्रतिष्ठा की – डॉ हरिसिंह पाल

asiakhabar.com | August 11, 2024 | 3:07 pm IST

नई दिल्ली ” संत तुलसीदास विश्व के ऐसे कवि रहे,जिनकी काव्य कृति को समाज ने एक धर्मग्रंथ के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने अपने महाकाव्य के माध्यम से विश्रृंखलित भारतीय समाज में आदर्श परिवार, आदर्श भाई, आदर्श पत्नी, आदर्श मां, आदर्श परिजन और आदर्श मित्र की परिकल्पना प्रस्तुत की, जिससे समाज में आदर्श मूल्यों की स्थापना हो सके।” उक्त विचार प्रख्यात साहित्यकार और न्यूयॉर्क अमेरिका से प्रकाशित वैश्विक हिंदी पत्रिका सौरभ के संपादक डॉ हरिसिंह पाल ने राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन द्वारा गोस्वामी तुलसीदास की लोक-मंगल दृष्टि – वैश्विक परिदृश्य में विषय पर आयोजित आभासी अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। अहमदाबाद गुजरात की पूर्व प्राचार्य डॉ दाक्षा जोशी, अमेरिका से जुड़े श्री अनंत कृष्णन, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक डॉ शैलेन्द्र कुमार शर्मा, नांदेड़ महाराष्ट्र की उपप्राचार्य डॉ अरुणा राजेन्द्र शुक्ल, जयपुर राजस्थान से प्रकाशित देव चेतना पत्रिका के संपादक श्री मोहन लाल वर्मा, डिब्रुगढ़ असम के हिंदी सेवी पत्रकार श्री ललित शर्मा, दिल्ली की कवयित्री डॉ पूनम माटिया, गुजरात के डॉ गेल्जी भाई, काशी विद्यापीठ के डॉ रामाश्रय सिंह, श्रीमती गरिमा प्रपन्न, डॉ सुधा शर्मा, डॉ हंसा गुनेर, डॉ अनीता, संचेतना की महासचिव डॉ शेहनाज शेख, श्री सुंदरलाल जोशी,बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के डॉ अमित कुमार गुप्ता ने विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।
राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के संस्थापक एवं कोषाध्यक्ष डॉ प्रभु चौधरी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। पुणे महाराष्ट्र की श्रीमती श्वेता मिश्रा के कुशल संचालन में आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ डॉ हंसा गुनेर की सरस्वती वंदना से हुआ। धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की महासचिव डॉ शेहनाज शेख ने प्रस्तुत किया।


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