लखनऊ। संतोष कुमार मिश्रा आईपीएस अधिकारी हैं, जो उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में तैनात हैं | वह 2012 बैच के ऐसे आईपीएस अफसर हैं। अपनी सरकारी ड्यूटी से बचे समय में उन्हें बच्चों को पढ़ाने का शौक है।
संतोष कुमार मिश्रा वहां जहां भी रहते हैं, कुछ न कुछ समय निकालकर साधनहीन बच्चों के साथ गुजारते हैं। वह अक्सर स्कूलों में जाकर बच्चों की कक्षाएं लेने लगते हैं। बिहार के पटना जिले के रहने वाले संतोष ने पुणे यूनिवर्सिटी से 2004 में मकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद उन्हें यूरोप की एक कंपनी में इंजीनियर की नौकरी मिल गई। संतोष कुमार मिश्रा ने यूरोप में चार साल तक नौकरी की और फिर अमेरिका में चले गए। फिर 50 लाख रुपए सालाना की नौकरी अचानक छोड़ कर साल 2011 में भारत आ गए। वर्ष 2012 में पहले ही प्रयास में आईपीएस बन गए।
ऐसे आया बच्चों को पढ़ाने का ख्याल
जब वह अमरोहा में तैनात थे, तो एक दिन पांचवीं कक्षा के एक बच्चे ने आकर उनसे शिकायत की। उसने कहा कि उसका एक दोस्त 15 दिनों से स्कूल नहीं आ रहा है। पता लगाते हुए वह उसके दोस्त के घर पहुंचे, तो वहां पता चला कि वह अपनी मिठाई की दुकान पर पिता के साथ काम कर रहा है।
इसके बाद वह दुकान पर पहुंच गए और उसके पिता से मिले। संतोष के कहने पर वह बच्चा दोबारा स्कूल जाने लगा। इस तरह मासूम दो दोस्तों की मुलकात कराकर उन्हें आत्मिक शांति मिली और इसके बाद उन्होंने गरीब और साधनहीन बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।