खेती में इस बदलाव से अमीर हो रहे हैं किसान, इस गांव में रुकी आत्महत्याएं

asiakhabar.com | January 4, 2018 | 4:32 pm IST

वारंगल। ऑर्गेनिक खेती (जैविक खेती) में बदलाव कर तेलंगाना के इस गांव के किसानों ने अपनी शुष्क भूमि को हरे भरे खेतों में बदल दिया है। इस प्रक्रिया में किसानों की आत्महत्याओं की संख्या कम हुई है और उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के संकट से उबरने के साथ ही उनकी घरेलू आय में वृद्धि हुई है।

एक समय था जब एनाबावी तेलंगाना में वारंगल के खेत बंजर थे और यह एक गरीब गांव था। निराश किसानों में से कुछ ने ऋण और गरीबी से ऊभकर आत्महत्या कर ली थी। मगर, 52 परिवारों के इस छोटे से गांव ने अपने भाग्य को बदलने के लिए एक साथ मिलकर कोशिश करने की शुरुआत की और हार मानने से इंकार कर दिया।

साल 2006 में तेलंगाना के इस गांव ने कृषि संबंधी इतिहास बनाया। वह पूरी तरह जैविक खेती को अपनाने लगा और कीटनाशकों, उर्वरक के साथ ही आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों से मुक्त खेती की दिशा में आगे बढ़ने लगा। तब से हजारों लोग सतत जीवनशैली से प्रेरणा लेने के लिए एनाबावी गांव का दौरा कर चुके हैं। फिल्म स्टार आमिर खान द्वारा आयोजित एक लोकप्रिय टीवी टॉक शो में सत्यमेव जयते में इसे दिखाया जा चुका है।

धूल भरी सड़कों पर बंजर भूमि को पार करने के बाद आप बड़ी-बड़ी कॉटर मिलों और कपास के बड़े बाजारों को देख सकते हैं। यहां आपको घास चरती भेड़ और गायों के साथ ही हरे भरे खेत दिखेंगे, जो एक विशिष्ट गांव की तस्वीर को दिखाते हैं। जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाने से पहले ग्रामीण कई तरीके की समस्याओं से जूझ रहे थे।

कृषि में इनपुट लागत के बढ़ने और पैदावार में कमी के चलते कई किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो गए थे वहीं कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। इसके बाद उन्होंने खेतों में केमिकल को डालना बंद करने और जैविक खेती को करने का फैसला किया। इस कदम से कई सकारात्मक परिवर्तन दिख रहे हैं।

कृषि के लिए केमिकल का उपयोग करने वाले किसानों को कई तरह की त्वचा संबंधी परेशानियां हो रही थीं। गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण में जो महिलाएं इन केमिकल, कीटनाशकों और उर्वरकों को खेतों में डालती थीं, उनका गर्भपात हो जाता था। इसके अलावा किसानों ने श्वसन संबंधी समस्याओं, सिरदर्द और नींद न आने की शिकायत होने लगी थीं।

ग्रामीणों के सामने इससे भी ज्यादा बड़ी समस्या यह थी कि गरीबी से परेशान होकर किसान आत्महत्या का रास्ता चुनने लगे थे। फसलों की कमी से किसानों का कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा था और इसकी वजह से किसान आत्महत्या करने लगे थे। इससे मृतक किसानों के परिवारों की वित्तीय समस्याएं बढ़ने लगी थीं। मगर, जैविक खेती को अपनाने के बाद यहां के ग्रामीणों की जिंदगी में काफी सकारात्मक बदलाव दिखने लगे हैं।


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