नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों एवं विभागों में कार्यक्रमों/ आयोजनों/ उत्सवों के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय प्रॉक्टर की ओर से परामर्श जारी किया गया है। प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी ने इस अश्या की जानकारी देते हुए बताया कि आयोजनों की जिम्मेदारी कॉलेज/ विभाग के अधिकारियों की होगी और कार्यक्रमों/ आयोजनों/ उत्सवों का आयोजन करते समय उनसे विवेकपूर्ण ढंग से कार्य करने की उम्मीद की जाती है।
प्रॉक्टर ने कहा कि आयोजन स्थल की क्षमता के अनुसार लोगों की अपेक्षित उपस्थित के संबंध में सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाना चाहिये। विभिन्न स्थानों की क्षमता के बारे में जानकारी मैप की जानी चाहिये और प्रतिभागियों की कुल संख्या उपलब्ध स्थान के अनुसार ही होनी चाहिये। आयोजक अपने कार्यक्रम में उपस्थित अपने संस्थान के विद्यार्थियों, शिक्षकों, कर्मचारियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए ही बाहरी लोगों के पंजीकरण की संख्या को आयोजन स्थल की क्षमता से कम रखें।
प्रो. रजनी अब्बी ने बताया कि ऐसे किसी भी कन्सर्ट, कार्यक्रम, जहां बाहरी विद्यार्थियों को आमंत्रित किया जाता है, से पहले ली फायर, पुलिस, बिजली विभाग, कॉलेज/ विश्वविद्यालय सुरक्षा, कॉलेज प्रतिनिधि, इवेंट मैनेजमेंट कंपनी जैसे सभी हितधारकों के साथ अग्रिम सुरक्षा संपर्क (एएसएल) बैठक आयोजित की जाए। बिना पुलिस की एनओसी के इस तरह का कोई भी आयोजन नहीं होना चाहिये। आयोजन से पहले कॉलेज की चारदीवारी का जायजा लिया जाए। यदि दीवारें नीची हों तो बाहरी लोगों को दीवारें फांदने से रोकने के लिए तारें लगाई जानी चाहियें। कॉलेज में कई गेट हों और सभी गेटों पर सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहियें। घोषणाओं के लिए सभी गेटों पर पीए सिस्टम होना चाहिये। किसी भी प्रकार के अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए छात्रावास के गेटों पर भी सीसीटीवी कैमरे होने चाहियें।
उन्होने कहा कि कन्सर्ट में कई बार विद्यार्थी मंच पर आ सकते हैं इसलिए आयोजन से पहले मंच की संरचनात्मक स्थिरता की जांच होनी चाहिये। जरूरत पड़ने पर पुलिस विभाग से डीएफएमएस (डोर फ्रेम मैटेलिक डिटेक्टर) किराए पर लिए जा सकते हैं। विद्यार्थियों/ बाहरी लोगों के प्रवेश को चैनलाइज (इन लाइन) किया जाना चाहिये। आयोजन स्थल पर और उसके आस-पास के सभी क्षेत्रों में अच्छी तरह से रोशनी होनी चाहिये और कोई भी क्षेत्र अंधेरे वाला नहीं होना चाहिये। उन्होने कहा कि कार्यक्रम से जुड़े सभी स्वयंसेवकों के पास पहचान योग्य टोपी और बैज होने चाहियें ताकि आवश्यकता/ आपातकाल के मामले में उन्हें आसानी से ढूंढा जा सके।
प्रो. रजनी अब्बी ने कहा कि जारी किए गए परामर्श के अनुसार आयोजनों के लिए प्रवेश से पूर्व-पंजीकरण गूगल फॉर्म आदि के माध्यम से होना चाहिये, जिसमें कार्यक्रम के विवरण के साथ तिथि, स्थान, प्रतिभागियों की अपेक्षित संख्या आदि दर्शाई होनी चाहिये और इसकी प्रतियां उपर्युक्त विभागों सहित पुलिस को जमा करवानी चाहियें। पंजीकरण फॉर्म में प्रतिभागियों के कॉलेज आईडी-कार्ड की स्कैन की गई प्रतियां शामिल होनी चाहिये। आयोजनों के सुचारू संचालन के लिए अनुशासन बनाए रखने और सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु प्रॉक्टोरियल कमेटी, आंतरिक शिकायत समिति (बाहरी सदस्यों और छात्र प्रतिनिधियों सहित) और छात्र संघ के सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिये।
उन्होने कहा कि विद्यार्थियों के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से पहले कॉलेजों के अधिकारियों द्वारा दिल्ली पुलिस के सहयोग से अनिवार्य सुरक्षा अभ्यास आयोजित किया जाना चाहिये। विद्यार्थियों को यह विश्वास दिलाना नितांत आवश्यक है कि यदि कोई अप्रिय घटना होती है तो वे तुरंत अपने स्टाफ सलाहकारों, शिक्षकों, आंतरिक शिकायत समिति, महिला विकास प्रकोष्ठ, प्रॉक्टोरियल समिति और प्रिंसिपल से संपर्क कर सकते हैं, ताकि वे शीघ्र कार्रवाई कर सकें। प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी ने कहा कि यदि उपरोक्त दिशा-निर्देशों में से किसी का पालन नहीं किया जाता है तो संबंधित कॉलेज/ विभाग द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम के दौरान किसी भी अप्रिय घटना के लिए संबंधित कॉलेज/ विभाग पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।