कांचीपुरम। श्री कांची कामकोटि पीठ के 69वें शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती का बुधवार को अवसान होने के बाद गुरुवार को उन्हें महासमाधि दी गई। इस दौरान उनके उत्तराधिकारी विजयेंद्र सरस्वती भी मौजूद थे। उन्हें मठ के वृंदावन एनेक्स में पूरे विधान और मंत्रोच्चार के साथ महासमाधि दी गई। उनकी देह को बांस से बनी बास्केट में बैठक अवस्था में 7 फीट गहरे गढ्ढे में उतारी गई।
इसके बाद इस गढ्ढे में जड़ी-बुटियों के अलावा नमक का मिश्रण डाला गया। इसके साथ ही सुबह 8 बजे से शुरू हुई महासमाधि की प्रक्रिया पूरी हो गई। इस मौके पर वहां हाजरों लोग मौजूद थे। इसके पहले तमिलनाडु के के राज्यपाल भी शंकराचार्य के अंतिम दर्शनों को पहुंचे थे।
इस प्रक्रिया को वृंदावन प्रवेश कार्यक्रम कहा जाता है। बता दें कि 82 वर्षीय शंकराचार्य को बुधवार सुबह बेचैनी की शिकायत के बाद निजी अस्पताल ले जाया गया था। वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके अवसान की खबर फैलते ही हजारों लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए। कांची शंकर मठ के मैनेजर सुदर्शन के अनुसार लगभग 1 लाख लोगों ने शंकराचार्य के अंतिम दर्शन किए।
विजयेंद्र सरस्वती नए शंकराचार्य
जयेंद्र सरस्वती 1994 से कांची पीठ के शंकराचार्य थे। मठ की उत्तराधिकार परंपरा के अनुसार उन्हें श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के अवसान के बाद यह पद मिला था। उन्हें मात्र 19 साल की उम्र में चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती ने 1954 में उत्तराधिकारी चुना था। जयेंद्र सरस्वती के महाप्रयाण के बाद उनके जूनियर विजयेंद्र सरस्वती नए शंकराचार्य बने हैं। उन्हें जयेंद्र सरस्वती ने 1983 में उत्तराधिकारी चुना था।
मैनेजर की हत्या के आरोप से दोषमुक्त करार दिए गए
शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का कार्यकाल चर्चित रहा। 11 नवंबर 2004 को उन्हें कांची मठ के मैनेजर शंकरारमन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। लंबी अदालती प्रक्रिया के बाद 27 नवंबर 2013 को पुडुचेरी की अदालत ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया था।