श्रीनगर। पैलेट गन पीड़ितों का चेहरा बन चुकी इंशा मुश्ताक ने कश्मीर में आतंकवाद से पैदा हालात के बीच अपने सपनों को उड़ान देने के लिए फड़फड़ा रही लड़कियों के लिए नया आदर्श स्थापित कर दिया है। आंखों की रोशनी गंवा चुकी इंशा मुश्ताक मंगलवार को घोषित 10वीं की बोर्ड परीक्षा के परिणाम में पास हो गई है।
दक्षिण कश्मीर के जिला शोपियां के सीडू गांव की रहने वाली इंशा मुश्ताक 12 जुलाई, 2016 को हिंसक प्रदर्शन को अपने घर की खिड़की से झांककर देख रही थी। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा दागे गए कुछ छर्रे उसकी आंखों में लग गए और उसकी रोशनी चली गई। इंशा के कई ऑपरेशन हुए। दिल्ली में एम्स से लेकर आदित्य ज्योति अस्पताल मुंबई में वह भर्ती रही। उसकी बांयी आंख में डॉक्टर थोड़ी सी रोशनी लाने में कामयाब रहे, लेकिन दांयी आंख में कोई रोशनी नहीं आई। वह फरवरी, 2017 को ही विभिन्न अस्पतालों में उपचार कराने के बाद कश्मीर लौटी थी।
जारी रखी पढ़ाई
इंशा मुश्ताक को कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी खेमे ने पैलेट पीड़ितों का चेहरा बनाकर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाया, लेकिन इंशा ने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई जारी रखी। वह कहती थी, आंखों की रोशनी गई है, इल्म से खुद को ही नहीं दूसरों को भी रोशन करूंगी। उसने अपनी हालत पर होने वाली सियासत से खुद को अलग रखते हुए परिजनों, अध्यापकों और दोस्तों की मदद से पढ़ाई की और नौवीं से 10वीं में पहुंच गई।
इंशा के पिता मुश्ताक अहमद लोन ने कहा कि आज तो हमारी खुशी का ठिकाना नहीं है। आज जो परिणाम आया है, वह हमारी उम्मीद से परे है। वह जब 10वीं कक्षा में दाखिल हुई तो पहले हम डरे थे कि यह कैसे पढ़ेगी, लेकिन वह अड़ गई थी और हमने उसकी जिद को मान लिया। वह देख नहीं सकती थी, लेकिन अच्छी तरह समझ लेती है। आज वह 10वीं में पास हो गई है। इससे आगे पढ़ने की उसकी इच्छा और मजबूत होगी, उसका मनोबल भी बढ़ेगा।
एसे दी परीक्षा
मुश्ताक अहमद लोन कहा कि उत्तरपुस्तिका लिखने के लिए बोर्ड की ओर से दिया गया सहायक 10वीं से भी निचली कक्षा का छात्र था। इंशा प्रश्नपत्र में पूछे गए सवालों का जवाब बोलकर देती थी और उसका सहायक उन्हें उत्तरपुस्तिका पर लिखता था। हमने उसके लिए एक ट्यूटर भी रखा था। वह रोजाना आकर उसे पढ़ाता था। इंशा उसके लेक्चर व सबक रिकॉर्ड करती थी और बाद में वह रिकॉर्डिंग को बार-बार सुनती और याद करती थी।