भाजपा में नए व युवा नेतृत्व को सामने लाने की मुहिम संगठन चुनावों से शुरू हो जाएगी। पार्टी कोशिश करेगी कि संगठन के पदाधिकारी साठ साल से ज्यादा उम्र के न हों। मंडल व जिला स्तर पर चालीस से पचास साल की अधिकतम आयु को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके पहले भाजपा ने लोकसभा व विधानसभा चुनावों में 75 साल या उससे ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव न लड़ाने पर प्रभावी तौर पर अमल किया था।
भविष्य में मजबूत व ऊर्जावान संगठन बनाए रखने के लिए भाजपा नेतृत्व लगातार कोशिश कर रहा है और इसमें उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी सहयोग मिल रहा है। संघ से भाजपा में आकर विभिन्न स्तरों पर काम कर रहे संगठन मंत्री भी नए युवाओं को आगे लाने के प्रयास कर रहे हैं। भाजपा के संगठन चुनाव की प्रक्रिया घोषित हो गई है और 11 सितंबर से बूथ समितियों के साथ चुनाव शुरू हो जाएंगे। प्रदेश स्तर तक के चुनाव इस साल दिसंबर तक हो जाएंगे, इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अगले साल जनवरी में होने की संभावना है।
* 75 साल या उससे ज्यादा के नेताओं को चुनाव न लड़ाने पर प्रभावी तौर पर अमल किया था।
* 11 सितंबर से बूथ समितियों के साथ चुनाव शुरू हो जाएंगे।
मूल संगठन में मिलेगा मौका
भाजपा का वर्तमान नेतृत्व प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर कम से कम दो दशकों तक काम करने वाली नई टीम को उभारना चाहता है। इससे नीचे के स्तर की टीमों में तो अधिकांश युवा चेहरे ही रखे जाएंगे, जो भविष्य में वरिष्ठता के साथ जिला, प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर काम करेंगे। युवा मोर्चा 40 साल तक की उम्र तक के नेताओं के लिए काम करता है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इस आयु वर्ग में आने वाले नेता मुख्य संगठन में नहीं रह सकते हैं।
सभी वर्गों को साधेंगे
पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा है कि संगठन चुनावों में आम तौर पर सर्वसम्मति से चुनाव होते हैं। मतदान की नौबत कम ही आती है। ऐसे में बूथ समितियों व बूथ अध्यक्ष पद पर को युवा व ऊर्जावान लोगों को सामने लाया जाएगा। मंडल व जिला स्तर पर चुनावी रणनीति व सामाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए हर वर्ग से युवा नेतृत्व को भी उभारा जाएगा।