मैंगलौर। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने के बाद कर्नाटक के उजैर में रहने वाला एक कपल आज दर दर की ठोंकरें खाने के लिए मजबूर है। आशा और विजय डिग्री धारक हैं और उनकी जिंदगी में सबकुछ अच्छा चल रहा था। नियति ने उन्हें मंगलुरु में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मिलवाया। विजय उस कंपनी में मैनेजर था और आशा ने वहां कर्मचारी के रूप में काम करना शुरू किया था।
जल्द ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और उन्होंने शादी कर ली। वे एक किराए के फ्लैट में शिफ्ट हो गए और उनके दो बेटों का जन्म हुआ। मगर, अचानक सब बदल गया। वर्कलोड की वजह से विजय पर काम का भारी दबाव पड़ा और वह मानसिक विकार का शिकार बन गए। जब उनके नियोक्ता को इसका पता चला, तो उन्हें फर्म से निकाल दिया गया। दूसरी ओर आशा को भी अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी।
कभी सुखी जीवन जी रहा यह परिवार आज दो जून की रोटी के लिए भारी मशक्कत कर रहा है। भविष्य अंधकारमय दिखने पर आशा अपने परिवार के साथ वापस उजैर में अपने पैतृक घर पर रहने के लिए वापस चले आई। हालांकि, जिनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं और उसके पास कुछ संपत्ति विरासत में मिली थी, लेकिन वह भी विवादित थी।
आशा के रिश्तेदारों ने कथित तौर पर विजय पर हमला किया और उन्हें घर से निकाल दिया। मामला पुलिस स्टेशन पहुंचने के बाद आशा को घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। घर छिन जाने और हाथ में पैसे नहीं होने के कारण आशा का परिवार अब सड़कों पर रहने के लिए विवश हो गया।
आशा ने कई महीनों पहले आश्रय योजना के तहत आवास के लिए आवेदन किया था, लेकिन अभी तक सरकार से कुछ भी नहीं मिला। जब इस मामले की जानकारी रोटरी क्लब मैंगलोर सेंट्रल को हुई, तो उन्होंने तिरपाल और एक सोलर यूनिट लगाकर एक तंबू बना दिया, जिसमें आशा का परिवार रह सके। आशा ने कहा कि पंचायत ने उन्हें कुछ महीनों में घर देने का वादा किया है।