अमरावती। केंद्र सरकार के बजट से नाराज तेलगुदेशम पार्टी लगातार नाराज चल रही है। यहां तक की टीडीपी के एनडीए से अलग होने तक की खबरें सामने आईं। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री और टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि वो एनडीए से अलग नहीं होंगे और ना ही अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे। यह अंतिम विकल्प होना चाहिए।
चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को दिए एक बयान कहा कि कुछ सांसदों के इस्तीफे की बात कह रहे हैं। अगर हमारे सांसद इस्तीफा दे देंगे तो राज्य के लोगों के लिए काम कैसे करेंगे। अविश्वास प्रस्ताव अंतिम विकल्प होना चाहिए, हम इतनी आसानी से यह कदम नहीं उठाएंगे। प्रस्ताव के लिए 54 सांसद चाहिए और हमारे पास यह संख्या नहीं है।
उन्होंने इस दौरान कांग्रेस सरकार को भी निशाने पर लिया और कहा कि केंद्र को हमारे राज्य के साथ न्याय करना चाहिए। मैं सिर्फ न्याय मांग रहा हूं लेकिन कांग्रेस और वायएसआरसीपी मुझ पर आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस भी मुझ पर ही आरोप लगा रही है जो सही नहीं है। राज्यों के बंटवारे के समय कांग्रेस ने हमारे साथ अन्याय किया, अब वर्तमान सरकार वादों को ठीक से लागू नहीं कर रही।
नायडू के बयान के इतर टीडीपी के सूत्रों के अनुसार नायडू राज्य को सुरक्षित करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए जल्द ही सर्वपक्षीय बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं। नायडू ने कहा कि हम आंध्र प्रदेश के लिए लड़ाई जारी रखेंगे। अविश्वास प्रस्ताव हमारे पास आखिरी उपाय होगा। नायडू ने कहा कि अगर मोदी सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है तो हम अन्य पार्टी के साथ अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे।
भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में टीडीपी दक्षिण भारत का एक प्रमुख घटक है। नायडू ने कहा कि राज्य के हितों की रक्षा करना हमारे लिए सर्वोपरि है। केंद्र सरकार ने पिछले चार वर्षों में हमारे लिए कुछ नहीं किया। अगर हमारे लोगों के साथ अन्याय किया जाता है तो मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा। केंद्र या तो हमे विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करे या विशेष आर्थिक पैकेज मुहैया कराए।
बता दें कि मुख्य विपक्षी पार्टी वायएसआर कांग्रेस और जन सेना चाहते थे कि टीडीपी भाजपा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जारी करने की मांग में उनका साथ दें, ताकि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दे। उनकी मांग को खारिज करते हुए नायडू ने कहा था कि मोदी सरकार को हम पूरा सहयोग करते हैं। वाईएसआर के अध्यक्ष जगनमोहन रेड्डी ने घोषणा की है कि अगर टीडीपी ऐसा नहीं करती तो उनकी पार्टी अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाएगी।
गौरतलब है कि 2018-19 के केंद्रीय बजट में आंध प्रदेश के प्रोजेक्ट को आवंटन न दिए जाने को लेकर टीडीपी ने नाराजगी जतायी थी। संसद में भी पार्टी सांसदों ने इसके लिए विरोध प्रदर्शन किया था। पार्टी का कहना था कि केंद्रीय आवंटन में पोलवरम प्रोजेक्ट को नजरअंदाज किया गया था। केंद्र और राज्य में भाजपा-टीडीपी एक साथ हैं। लोकसभा में टीडीपी के 16 सांसद हैं।
गौरतलब है कि केंद्र ने आंध्र प्रदेश को विभिन्न परियोजनाओं के लिए कुल 1,269 करोड़ रुपए दिए हैं। दोनों पार्टियों के बीच तनाव वाले मुद्दों में से एक पोलवरम बहुउद्देशीय प्रोजेक्ट के लिए 417.44 करोड़ रुपए की राशि दी गई है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सीनियर ज्वाइंट कमिश्नर आरपीएस वर्मा द्वारा जारी आदेश में कहा गया, ‘417.44 करोड़ की राशि का उपयोग पहले ही पोलवरम के लिए राज्य में किया जा चुका है।’
पोलवरम प्रोजेक्ट के जरिए अब तक केंद्र सरकार ने 4,329 करोड़ रुपए की राशि प्रोजेक्ट के लिए दी है, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी घोषणा के बाद इस पर 7,200 करोड़ रुपए की राशि खर्च किया गया है। आंध्र प्रदेश के वित्त मंत्री यानामाला रामाकृष्णुदु ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को पिछले महीने एक मेमोरेंडम सौंपा था, जिसमें कहा गया गया कि पोलवरम पर कुल 3,217.63 करोड़ रुपए खर्च किया जा चुका है, जिसका अब तक आवंटन नहीं किया गया है। इसके अलावा, आंगनवाड़ी सर्विसेज के लिए कुल 196.92 करोड़ रुपए और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए 31.76 करोड़ रुपए दिए गए थे।