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नई दिल्ली। मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ एक और फतवा जारी हुआ है। इसके मुताबिक, मुस्लिम महिला का अकेले घर से बाहर निकलना और मोबाइल चलाना इस्लाम के खिलाफ है। फतवा जम्मू-कश्मीर से जारी हुआ है।एक अन्य फतवे में कहा गया है कि मुस्लिम महिला का अकेले हज यात्रा पर जाना भी गैर-इस्लामिक है।
जम्मू-कश्मीर से जारी फतवे में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर अकेले नहीं जाना चाहिए। यदि जरूरी है, तो घर के किसी मर्द के साथ ही जाना चाहिए।
इस्लामिक मरकाजी मजलिस-ए-शौर ने यह फतवा जारी किया है। यह संस्था जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में है। इसके अलावा उन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने की धमकी दी गई है, जहां निकाह के मौकों पर नाच-गाना होता है।
फतवे में युवाओं से कहा गया है कि वे बाजार में फालतू समय गंवाने के बजाए पांच वक्त की नमाज पढ़ें। इससे उनकी जिंदगी सुधर जाएगी।
हज पॉलिसी का भी विरोध
हाल ही में भारत सरकार ने अपनी हज पॉलिसी में बदलाव करते हुए कहा था कि 45 साल से ज्यादा उम्र की महिला यदि समूह में यात्रा कर रही है, तो परिवार के पुरुष के साथ न होने के बावजूद उसे यात्रा की अनुमति होगी।
अब मुफ्ती मोहम्मद सलीम नूरी ने इसका विरोध किया है। दरगाह हजरत के प्रवक्ता नूरी ने कहा है कि किसी भी मुस्लिम महिला का अकेले हज पर जाना इस्लाम के खिलाफ है।
बाल कटवाने और आईब्रो बनवाने के खिलाफ फतवा
इससे पहले सोमवार को ही मुस्लिम महिलाओं के बाल कटवाने और आईब्रो बनवाने के खिलाफ फतवा जारी हुआ है। फतवा दारुल उलूम देवबंद ने जारी किया था।
इससे पहले अप्रैल 2017 में तंजीम उलेमा ए हिंद के एक मौलाना ने विवादित बयान दिया था। मौलाना ने अपने बयान में मुस्लिम महिलाओं का नौकरी करना इस्लाम के खिलाफ बताया था।