अलीगढ़। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के 64वें दीक्षांत समारोह में मुख्त अतिथि के रूप में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने 5381 छात्रों को उपाधी प्रदान की। इसके बाद समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एएमयू, बीएचयू जैसी संस्थाओं को समुदायों से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है।
कोविंद ने कहा कि जब आजादी की लड़ाई जोरों पर थी, उसी समय निरर्थक परंपराओं को समाप्त करने पर भी काम हो रहा था। उसी दौर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, दिल्ली यूनिवर्सिटी सहित कई शिक्षा संस्थाओं की स्थापना की गई। इन संस्थाओं की देश के विकास में अहम भूमिका है। एएमयू के लिए आर्थिक सहायता देने वालों में बनारस के महाराजा भी शामिल थे। ऐसी शिक्षक संस्थाओं को समुदायों से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश से अधिक लगाव होने के चलते जब भी किसी कार्यक्रम के लिए आमंत्रण मिलता है, उसे स्वीकार लेते हैं। कुछ बुलाते हैं और कुछ बुलाने में हिचकिचाते हैं। देश की बड़ी शिक्षा संस्था में आकर मुझे गर्व हुआ। राष्ट्रीयगान में भारत भाग्य विधाता गाया जाता है। मुझे नहीं लगता कि भाग्य विधाता कोई और हो सकता है। बेटा हो या बेटी, यही भाग्य विधाता हैं, देश के भी और समाज के भी।
उन्होंने दीक्षा समारोह में साठ साल पुरानी ड्रेस पहनने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह ड्रेस देश के प्रसिद्ध लोगों ने पहनी है। यह विश्वविद्यालय देश के विकास में अहम भूमिका निभा रहा है। अक्टूबर में इथोपिया जाना हुआ। वहां के प्रधानमंत्री की पत्नी ने बताया कि वे एएमयू की स्टूडेंट रही हैं।
उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब के जीवन से प्रेरणा लेने पर जोर दिया। साथ ही कहा कि 21 वीं सदी में भारत के आगे बढ़ने में युवाओं की अहम भूमिका होगी। पूरी दुनियां ज्ञान-विज्ञान से आगे बढ़ रही है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र ज्ञान के साथ विज्ञान में अपनी अलीग पहचान बना रहे हैं। यह संस्था ज्ञान-विज्ञान की तेज रफ्तार में आगे रहेगी। इससे पहले राज्यपाल रामनाईक ने भी विचार रखे।