ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज उत्तराखंड स्थापना दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी से भेंट कर 22 वें स्थापना दिवस पर उनके माध्यम से राज्यवासियों को शुभकामनायें और बधाई देते हुये कहा कि उत्तराखंड अध्यात्म, आनन्द, शान्ति और शक्ति प्रदान करने वाली भूमि है। इस पावन धरती में भीतरी और बाहरी दोनों पर्यावरण को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध रखने की अपार क्षमतायें है। स्वामी जी ने माननीय मुख्यमंत्री जी से ग्रीन पर्यटन को बढ़ावा देने के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि उत्तराखंड, युवा नेतृत्व में आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति करेगा जिससे रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर प्राप्त होगे।
स्वामी जी ने कहा कि हमारा उत्तराखंड स्विट्जर लैण्ड भी है और स्पिरिचुअल लैण्ड भी है क्योंकि यहां पर माँ गंगा है और हिमालय भी है इसलिये यह पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। यहां पर हरित पर्यावरणीय पर्यटन विकसित करने की अपार सम्भावनायें है। उत्तराखंड की एक और विशेषता है कि भारत की सीमाओं की रक्षा के लिये यहां से सैनिक भी भारी मात्रा में आते हैं। उन सब सैनिकों की माताओं को प्रणाम जिन्होंने सीमाओं की रक्षा के लिये अपने बेटे और बेटियों को समर्पित किया हैं तथा भारत की संस्कृति की रक्षा के लिये हिमालय की गोद और माँ गंगा के तट पर ऋषियों और पूज्य संतों को सुरक्षित वातावरण प्रदान किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को स्वयं ईश्वर ने
जल, वायु और पवित्र नदियों, पहाड़ों और जंगलों से समृद्ध बनाया है, इसकी नैसर्गिक समृद्धि, सुन्दरता और शान्ति को बनायें रखना तथा प्रदूषण मुक्त बनाने में सहयोग करना हम सभी का परम कर्तव्य है ताकि हमारा प्रदेश सदैव नवीन विचारों, नई ऊर्जा और हरियाली से परिपूर्ण रहे।
उत्तराखण्ड योग, अध्यात्म, अपार जल से युक्त नदियों और प्राणवायु ऑक्सीजन से समृद्ध राज्य है। भारत सहित विश्व के अनेक देशों से श्रद्धालु और पर्यटक यहां आकर योग, ध्यान एवं साधना करते हैं। यह प्रदेश अपार शान्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला है। स्वामी जी ने कहा कि सभी प्रदेशवासी मिलकर उत्तराखंड राज्य को ऑक्सीजन बैंक, वाॅटर बैंक और आयुर्वेद व जड़ी-बूटी बैंक के रूप में विकसित कर विश्व को एक सौगात दे सकते हैं।
अपार प्राकृतिक संपदाओं से युक्त यह राज्य आध्यात्मिक ऊर्जा का पावर बैंक हैं। पूरी दुनिया को इनरपावर; आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने वाला राज्य है उत्तराखंड।
पहाड़ों से युक्त राज्य होने के कारण यहां की समस्यायें अन्य राज्यों से अलग हैं। पहाड़ों पर रहने वालों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है परन्तु पहाड़ों की संस्कृति और संस्कारों को जीवंत बनायें रखने के लिये उत्तराखंड वासियों का विशेष कर पहाड़ों पर रहने वाले भाई-बहनों का विशेष योगदान है। उत्तराखंड के पहाड़ और यहां की पवित्रता को बचाये रखने के लिये हम सभी को एकल उपयोग प्लास्टिक से परहेज करना होगा।
उत्तराखंड देवत्व से भरा है, अर्पण, तर्पण और समर्पण की संस्कृति से युक्त है अतः हम सभी को इस संस्कृति को आत्मसात कर आगे बढ़ना होगा। अपने राज्य और यहां के निवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिये इसे आयुर्वेद और जड़ी-बूटियों से सजाना होगा, यहां की दालंे, दलहन और पहाड़ी उत्पादों को बढावा देना होगा, उत्तराखंड के व्यंजन और उत्पाद, बच्चों में व्याप्त कुपोषण की समस्या से भी निजात दिला सकते हैं।
स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य की समस्यायें चाहे तन की हो या मन की सब का समाधान है उत्तराखंड के पास। हमें अपने राज्य को पीस टूरिज्म, ऑक्सीजन टूरिज्म, योग और ध्यान टूरिज्म की तर्ज पर आगे लाना होगा। उत्तराखंड की दिव्यता और भव्यता को बनाये रखने का संकल्प लें और अपने राज्य की समृद्धि में योगदान प्रदान करें।