लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आदेश के बावजूद भी समय पर जवाबी हलफनामा ना दाखिल कर पाने पर प्रधानमत्री कार्यालय पर पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। इस मामले में कोर्ट के आदेश के बाद पांच महीने से ज्यादा का वक्त गुजर जाने के बावजूद जवाब नहीं दाखिल किया गया था।
असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल एसबी पांडेय द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए और अधिक समय मांगने पर कोर्ट ने यह आदेश सुनाया। यह आदेश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस अब्दुल मोईन की बेंच ने सुनील कांदू की ओर से दाखिल एक विचाराधीन जनहित याचिका पर पारित किया है।
दरअसल याची ने जनहित याचिका दाखिल कर केंद्र सरकार द्वारा कैग की मात्र दस रिपोर्ट पर संज्ञान लेने का मुद्दा उठाया है जबकि, कैग प्रतिवर्ष पांच हजार रिपोर्ट्स केंद्र को देती है। याचिका में कैग के रिफॉर्म संबंधी मुद्दे के साथ-साथ प्रदेश में महालेखाकार द्वारा पिछले दस वर्षों में लगाए गए ऑडिट ऑब्जेक्शन पर कोई कार्रवाई न होने पर भी गंभीर सवाल उठाया गया है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि एक अगस्त 2017 को ही प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था, बावजूद इसके अभी तक जवाब दाखिल नहीं हुआ। सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पीएमओ व कानून मंत्रालय की ओर से पेश असिस्टेंट सॉलिसीटर जनरल एसबी पांडेय ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए और समय दिए जाने की मांग की।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई कि काफी समय बीत जाने के बाद भी जवाब क्यों नहीं दाखिल किया गया। बहरहाल प्रकरण को देखते हुए कोर्ट ने पांच हजार रुपए के हर्जाने की शर्त के साथ जवाब पेश करने के लिए पीएमओ व कानून मंत्रालय को तीन सप्ताह का मौका दिया है।