मल्टीमीडिया डेस्क। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु की खबर आल इंडिया रेडिया ने शाम की 6 बजे तक प्रसारित नहीं की थी।
स्वयं उपराष्ट्रपति वेकंटरमन ने शाम के बुलेटिन में सूचना दी थी राजीव गांधी को इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई है।
भारत सरकार के पूर्व सूचना मंत्री राममोहन राव आज भी उस दिन को याद करता हूं जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षाकर्मियों द्वारा गोली मारने के बाद मौत हो गई।
31 अक्टूबर 1984 का वह दिन आज भी यादों में ताजा है। मैं ऑल इंडिया रेडियो के न्यूज सर्विस डिवीजन का प्रमुख था। सुबह 8 बजे के न्यूज बुलेटिन को देखने के बाद मैं घर लौटा था।
मैंने नाश्ता किया ही था कि टेलीफोन बज उठा। दूसरे छोर पर पीएम के सूचना सलाहकार शारदा प्रसाद थे। उन्होंने कहा, राममोहन, प्रधानमंत्री को सुरक्षाकर्मियों ने गोली मारी है।
उन्हें गंभीर चोटें आईं हैं। उनको ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में ले जाया गया है। अधिक जानकारी डॉक्टर्स देंगे। ”
राममोहन कहते हैं कि वे तुरंत ऑल इंडिया रेडियो के न्यूज रूम पहुंचे। रिपोर्टर्स को एम्स और पीएम के आधिकारिक निवास पर भेजा।
हमारे बुलेटिन में हमने यही बताया कि प्रधानमंत्री को गोलियां दागी गईं हैं, उनको एम्स में दाखिल कराया गया है। शारदा प्रसाद अपडेट देते रहे। जख्म ज़्यादा थे, बचने के चांस कम थे।
हर सूचना जारी करने से पहले उसे पुख्ता करना बेहद ज़रूरी था। उस दिन राष्ट्रपति देश से बाहर थे। गृहमंत्री, कैबिनेट सचिव भी दिल्ली से बाहर थे। राजीव गांधी कोलकाता में थे।
बहुत जल्द बीबीसी ने भी खबर प्रसारित करना शुरू कर दी। तब मुझे ब्रिटेन का उदाहरण बताया गया कि किस प्रकार उत्तराधिकारी द्वारा शपथ ग्रहण करने से पहले वहां राजा की मृत्यु की खबर जारी नहीं की गई थी।
राष्ट्रपति जैलसिंह, राजीव गांधी तुरंत अस्पताल पहुंचे। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद उपराष्ट्रपति वेकंटरमन ने कहा कि शाम 6 से पहले राजीव को शपथ लेना होगी।
न्यूज रूम को इस खबर को प्रसारित करने के लिए तैयार किया गया। मृत्यु की खबर सुनने के बाद एम्स के पास कुछ लोगों ने मिठाई भी बांटी थी। इसके बाद तनाव फैल गया।
शहर की फिजा बिगड़ गई। मैंने कार्यालय के केंटीन में एक सप्ताह के राशन की व्यवस्था करवाई। स्टाफ को तीन दिन तक वहीं रखा गया और भोजन का इंतज़ाम किया गया।
बाद में भारत सरकार ने नियम बदल दिए और दुर्भाग्य से मुख्य सूचना अधिकारी के तौर पर राजीव गांधी की मृत्यु की खबर भी 1991 में मुझे ही प्रसारित करना पड़ी।