नई दिल्ली। दुनिया तेजी से बदल रही है, लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। आज बुलेट ट्रेन, आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस, बिग डेटा एनालिसिस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर काम हो रहा है, लेकिन कॉलेज आज भी भाप के इंजन वाले कोर्स ही करा रहे हैं।
ऐसे में इन नवीनतम तकनीकी चीजों को संशोधित इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। अगले साल जुलाई से शुरू होने वाले शैक्षिक सत्र में इन चीजों को कोर्स में शामिल किया जाएगा। इसका मकसद यह है कि भारतीय इंजीनियरों को व्यावहारिक शिक्षा मिले और नए कोर्स के बाद वे अधिक रोजगार हासिल कर सकें।
ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि स्नातक छात्रों के गिरने वाले प्लेसमेंट की समस्या को हल करने के लिए सैलेबस में बदलाव की कोशिश की जा रही है। देश में 3,000 से अधिक पंजीकृत इंजीनियरिंग संस्थान हैं, जो प्रति वर्ष अनुमानित सात लाख इंजीनियर तैयार करते हैं।
मगर, उनमें से केवल आधे ही कैंपस प्लेसमेंट के जरिये नौकरी पाने में सफल होते हैं। एआईसीटीई द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015-16 में, कुल 7.58 लाख स्नातकों में से महज 3.34 लाख को ही कैंपस प्लेसमेंट के जरिये नौकरियां मिली थीं।
नए पाठ्यक्रम के तहत हर सप्ताह थ्योरी क्लासेस को 30 से घटाकर 20 तक किया जाएगा। अनिवार्य पाठ्यक्रम जैसे इन्वायरमेंटल साइंसेस, भारतीय संविधान और ऐसेंस ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज (पारंपरिक ज्ञान का सार) भी शामिल होगा। हालांकि, छात्रों को इसके लिए अंक नहीं दिए जाएंगे। अधिकारियों ने कहा कि नए पाठ्यक्रम में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उद्योग की जरूरतों को समझने के लिए अंतिम सेमेस्टर में छात्रों को प्रोजेक्ट काम करने के लिए समय मिले। दूसरे या तीसरे साल की गर्मियों की छुट्टियों में इंटर्नशिप अनिवार्य होगी।