नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अजय भूषण पांडे ने शुक्रवार को बताया कि पिछले कुछ महीनों के दौरान करीब 500 लापता बच्चों को ‘आधार’ के जरिये खोजा गया है।
ग्लोबल कांफ्रेंस ऑफ साइबर स्पेस (जीसीसीएस) 2017 में एक सत्र को संबोधित करते हुए अजय भूषण पांडे ने एक वाकया भी सुनाया। उन्होंने बताया कि अनाथाश्रम में रह रहे एक बच्चे को जब ‘आधार’ पंजीकरण के लिए ले जाया गया तो पता चला कि उसकी बायोमेट्रिक पहचान पहले ही दर्ज कराई जा चुकी है। इस तरह उसे उसके परिवार से मिलाया जा सका।
हल्के फुल्के अंदाज में उन्होंने कहा कि बॉलीवुड फिल्मों में अब भाई-बहनों के बिछुड़ने और दशकों बाद मिलने की स्क्रिप्ट में अब ‘आधार’ का भी जिक्र करना पड़ेगा। पांडे ने बताया कि देश में अब तक 1.19 अरब लोगों का ‘आधार’ बन चुका है, इनमें 99 प्रतिशत व्यस्क हैं।
बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन ‘क्राइ’ (चाइल्ड राइट एंड यू) के मुताबिक, 2013 और 2015 के बीच लापता होने वाले बच्चों की संख्या में 84 फीसद का इजाफा हुआ है। संगठन ने सरकारी आंकड़ों के हवाले से बताया कि हर दिन औसत करीब 180 बच्चे लापता होते हैं।