नई दिल्ली। नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने पुलवामा हमले के लगभग तीन सप्ताह बाद मंगलवार को कहा कि ऐसी खबरें हैं कि आतंकवादियों को समुद्र के जरिए हमले करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। लांबा ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद में रक्षा क्षेत्र से जुड़े वैश्विक विशेषज्ञों और राजनयिकों को संबोधित करते हुए बताया कि भारत को अस्थिर करने की चाहत रखने वाले ‘‘एक देश से सहायता प्राप्त’’ चरमपंथियों ने पुलवामा हमले को अंजाम दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास ऐसी भी खबरें हैं कि आतंकवादियों को समुद्री मार्ग सहित विभिन्न तरीकों से हमलों को अंजाम देने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।’’ उल्लेखनीय है कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमलों को समुद्री मार्ग के जरिए ही अंजाम दिया गया था। लश्कर ए तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई पहुंचने के लिए मछली पकड़ने वाले एक भारतीय ट्रॉलर का अपहरण कर लिया था और फिर महानगर में कई जगहों पर हमलों को अंजाम दिया था। लांबा ने कहा कि हाल के वर्षों में विश्व के इस हिस्से ने कई तरह का आतंकवाद देखा है और कुछ ही देश इसकी जद में आने से बच पाए हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने हाल में जो वैश्विक रुख अख्तियार किया है उससे यह खतरा और बढ़ गया है। नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारत को हालांकि ‘‘राज्य प्रायोजित आतंकवाद’’ के ‘‘काफी अधिक गंभीर’’ रूप का सामना करना पड़ा है। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, ‘‘हाल में लगभग तीन सप्ताह पहले जम्मू कश्मीर में चरमपंथी हमले की भयावाहता देखी। इस हिंसा को भारत को अस्थिर करने की चाहत रखने वाले एक देश से सहायता प्राप्त चरमपंथियों ने अंजाम दिया।’’ जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद द्वारा किए गए आत्मघाती हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे। लांबा ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि धरती पर आतंकी समूह कितनी तेजी से उभरते हैं। एक खास किस्म का आतंकवाद निकट भविष्य में वैश्विक समस्या बन सकता है।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान इस बुराई के खात्मे के लिए लगातार काम कर रहा है। लांबा ने उल्लेख किया कि ‘‘यह आवश्यक हो गया है कि वैश्विक समुदाय सभी तरह के आतंकवाद को रोकने और इसके खात्मे के लिए मिलकर काम करे।’’ उन्होंने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के महत्त्व पर भी जोर दिया और कहा, ‘‘सागरों पर विश्व ने नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया है। यह प्रमुखत: समुद्री क्षेत्र के भू-आर्थिक और भू-राजनीतिक महत्त्व की वजह से है।’’ नौसेना प्रमुख ने कहा कि भारत समुद्री क्षेत्र वाला देश है और देश की वृद्धि तथा क्षेत्रीय विकास के लिए हाल में समुद्री क्षेत्र के सामर्थ्य के उन्नयन पर काफी अधिक ध्यान दिया जाता रहा है। लांबा ने कहा कि यह कार्यक्रम ‘‘जलक्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों को पहचानने तथा संकल्पना करने और सभी पक्षों के पारस्परिक हितों की रणनीति तैयार करने’’ की बात करता है। उन्होंने कहा, ‘‘यह व्यापक तौर पर स्वीकार किया गया है कि हाल के वर्षों में आर्थिक, राजनीतिक और अन्य कारणों से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र का भू-राजनीतिक महत्व काफी बढ़ा है।’’ लांबा ने भारत के साथ क्षेत्र के प्राचीन और ऐतिहासिक संबंध तथा देश के लिए इसके महत्त्व को रेखांकित किया।