अहमदाबाद। यहां के सरकारी जिला अस्पताल में एक ही दिन में यानी शनिवार को ही नौ बच्चों की मौत हो गई है। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है। शुरुआती खबरों के अनुसार, बच्चों ने अस्पताल की इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में अंतिम सांस ली है। पांच बच्चों को अन्य अस्पतालों से यहां रेफर किया गया था, जबकि चार का इसी अस्पताल में जन्म हुआ था।
बच्चों की मौत के बाद से उनके परिजन बेहद गुस्से में हैं। यही वजह है कि किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने अस्पताल में सिपाहियों को तैनात कर दिया है।
जिला अस्पताल के स्वास्थ्य अधीक्षक (एमएस) एमएम प्रभाकर ने एक गुजराती टीवी चैनल से बातचीत में उन खबरों से इन्कार किया जिनमें कहा गया था कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति के कारण बच्चों की मौत हुई है।
उन्होंने कहा, ‘अस्पताल में चौबीसों घंटे डॉक्टर मौजूद रहते हैं।’ दावा किया कि मरीजों को जिला अस्पताल में तब भर्ती कराया गया था जब उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई। ऐसा अक्सर होता है। जब निजी अस्पतालों को लगता है कि अब वे मरीजों का इलाज नहीं कर पाएंगे तो उन्हें वे यहां भेज देते हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष दोशी ने नवजात बच्चों की मौत के लिए स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार बताया है। उनका कहना है कि सरकार स्वासथ्य योजनाओं के प्रचार पर करोडों खर्च करती है नवजातों को बचाने को लेकर क्यों लापरवाही बरत रही है। दोशी मौत को यूपी के बीआरडी अस्पताल से जोड़कर इसे भाजपा का मॉडल बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री व मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है।
महानगर पालिका अहमदाबाद के नेता विपक्ष दिनेश शर्मा की अगुवाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सिविल अस्पताल में हंगामा मचाया तथा अधीक्षक कार्यालय में तोड़फोड़ की। दिनेश शर्मा ने आरोप लगाया कि सिविल भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है, बच्चों के इलाज में लापरवाही बरती गई है। इसके जवाब में भाजपा प्रवक्ता आई के जाडेजा ने कहा है कि कांग्रेस राजनीति कर रही है, कम वजन के कारण बालकों की मौत हुई है। कांग्रेस को आतंकियों के घर जाकर प्रदर्शन करना चाहिए।