श्रीनगर। ‘यह जमीं यह फलक सबमे तू, जिसने की तेरी जुस्तजू उसे तू मिला, ए-खुद ए-खुदा,’। यह गीत मशहूर गायक और संगीतकार अदनान सामी ने शनिवार को यूं ही नहीं गया, बल्कि उन्होंने कहा कि मैं कश्मीर के प्राकृतिक सौंदर्य और यहां के सद्भाव का बखान नहीं कर सकता, इसलिए उसके लिए यही गा सकता हूं। अदनान कश्मीर घाटी में सुधरते हालात का संदेश अपने सुरों के जरिये पूरी दुनिया में सुनाने आए थे।
डल झील के किनारे स्थित शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य पर्यटन विभाग की ओर से अदनान सामी संगीत संध्या ‘रिदम इन पैराडाइज’ का आयोजन किया गया।
इस मौके पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू, राज्य मंत्रीमंडल के सदस्य, पुलिस महानिदेशक डॉ. एसपी वैद और मुख्य सचिव बीबी व्यास समेत सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी संगीत संध्या का लुत्फ उठाने आए थे। मेहमानों में करीब 300 स्कूली छात्र भी थे।
सूर्यास्त के बाद शाम सात बजे जब अदनान सामी मंच पर आए तो फिर किसी को डल की लहरों से उठती ठंडी हवाओं का अहसास नहीं हुआ। जैसे-जैसे रात के अंधेरे के साथ ठंड बढ़ती गई, सामी के सुरों से पैदा हुई गर्मी ने किसी को वहां से हिलने नहीं दिया।
फरमाइश पर सुनाई कव्वाली –
कश्मीर की सूफी पंरपरा का जिक्र करते हुए सामी ने दक्षिण कश्मीर में स्थित सूफी संत जैनआबदीन की जियारत का जिक्र किया। इसी जियारत पर उन्होंने बजरंगी भाईजान फिल्म के लिए एक कव्वाली गाई थी।
उन्होंने कहा कि मैं दुआ करता हूं कि मुझे एक बार फिर वहां जाने का मौका मिले। उन्होंने श्रोताओं की पुरजोर फरमाइश पर ‘भर दो झोली मेरी.. तेरे दर से न जाऊंगा खाली’ कव्वाली सुनाई।