अगवा भारतीयों की हो चुकी थी हत्या, तो किसने दी उनके जिंदा होने की गलत खबर

asiakhabar.com | March 20, 2018 | 4:52 pm IST
View Details

नई दिल्ली। जून, 2014 में इराक में खूंखार आतंकी संगठन आईएस की तरफ से अगवा भारतीयों के रहस्य पर पर्दा हट गया है। सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि अपह्रत 39 भारतीय मारे जा चुके हैं। मगर, सवाल यह है कि विगत वर्षों में सरकार को किन स्रोतों से यह सूचना मिल रही थी कि अगवा किए गए भारतीय जिंदा भी हो सकते हैं।

वर्ष 2015 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वयं कहा था कि उन्हें छह स्रोतों से यह सूचना मिली है कि अपह्रत भारतीय जिंदा हैं। संसद में उन्होंने बयान दिया था कि इराक में भारतीयों के मारे जाने की कहानी से ज्यादा वह उनके जिंदा होने की कहानी पर भरोसा करती हैं। ऐसे में क्या कुछ विदेशी सरकारें जानबूझ कर भारत सरकार को गलत सूचना दे रही थी?

28 नवंबर 2014 को जब यह मामला कांग्रेस की तरफ से संसद में उठाया गया, तो स्वराज ने दो टूक कहा था, ”सरकार उनके मारे जाने की कहानी के बजाय उनके जीवित होने की सूचनाओं पर ज्यादा भरोसा कर रही है। अपनी जिम्मेदारी समझते हुए हमारी कोशिश उन्हें सुरक्षित वापस लाने की है और हम उनके जीवित होने की प्रार्थना भी कर रहे हैं।”

उन्होंने यह बयान आईएस आतंकियों के कब्जे से बचकर निकले भारतीय हरजीत मसीह के बारे में मीडिया में खबरें आने के कुछ ही दिन बाद दी थी। मसीह ने दावा किया था कि सभी 39 भारतीयों को उसके सामने गोली मारी गई है।

उसे भी आतंकियों ने गोली मारी, लेकिन उसने मरने का नाटक किया और बच गया। हरजीत की इस सूचना की पुष्टि अपह्रत बांग्लादेशी नागरिकों ने भी की थी। बांग्लादेशी नागरिकों को मुस्लिम होने की वजह से छोड़ने की बात सामने आई थी।

बाद में एक बार फिर स्वराज ने मीडिया को यह बताया कि उन्हें छह स्रोतों से यह सूचना मिली है कि अपह्रत भारतीय जिंदा है। जुलाई 2014 और अगस्त 2016 में संसद में स्वराज ने यह बयान दिया था कि उन्हें इस बात की पक्की जानकारी है कि अपह्रत भारतीय जिंदा हैं।

जानकारों के मुताबिक, फिलीस्तीन के विदेश मंत्री समेत कई देशों के वरिष्ठ मंत्रियों ने भारत सरकार को अपह्रत भारतीयों के जिंदा होने की खबर दी थी। इस मुद्दे को पीएम नरेंद्र मोदी ने भी खाड़ी के देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में उठाया था।

भारत सरकार को कुछ गोपनीय स्रोतों से यह जानकारी मिली थी कि अपह्रत भारतीयो को मोसुुल के करीब किसी दूसरे शहर के चर्च में रखा गया है। लेकिन पिछले वर्ष के शुरुआत में ही उस चर्च को जमींदोज कर दिया गया था।

उसके बाद यह सूचना मिली कि हो सकता है कि अपह्रïत भारतीयों को बादुश जेल में रखा गया है। जुलाई, 2017 में जब विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने इरबिल की यात्रा की, तो उन्होंंने बादुश जेल से सूचना एकत्रित करने की सबसे ज्यादा कोशिश की। मगर, कोई भी ठोस सूचना भारत को हासिल नहीं हुई थी।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *