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अपनी ओजपूर्ण आवाज से लोगों के दिल को छू लेने वाले स्वामी विवेकानन्द निःसंदेह विश्व गुरु थे जिनके सुलझे हुए विचारों के उजाले ने धर्म की डगर से भटक रही दुनिया को सही राह दिखाई। निर्विवाद रूप से विश्व में हिन्दुत्व के ध्वजवाहक रहे विवेकानन्द का बौद्धिक तथा आध्यात्मिक शक्ति से भरा व्यक्तित्व और कृतित्व विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। विवेकानन्द ने अपनी अल्प आयु में ही दुनिया को बहुत कुछ दिया। उन्होंने विश्व को वेदान्त के मर्म से रूबरू कराया। विवेकानन्द ने राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण माना। वह चाहते थे कि नौजवान पीढ़ी रूढ़िवाद से अछूती रहकर अपनी ऊर्जा का इस्तेमाल देश की तरक्की के लिए करे। युवाओं के आदर्श विवेकानन्द के जन्मदिन को युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। विवेकानन्द के जीवन में विचारों की क्रांति भरने वाले उनके गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने एक बार कहा था कि विवेकानन्द एक दिन दुनिया को शिक्षा देंगे और बहुत जल्द अपनी बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्तियों से विश्व पर गहरी छाप छोड़ेंगे।कलकत्ता के शिमला पल्ली में 12 जनवरी 1863 में एक सम्भ्रान्त परिवार में जन्मे विवेकानन्द का बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ था। शुरुआती शिक्षा घर में प्राप्त करने के बाद उन्होंने ईश्वरचन्द्र विद्यासागर संस्थान तथा स्काटिश चर्च कालेज में तालीम हासिल की। शिक्षार्जन के दौरान नरेन्द्रनाथ ने विशेष रूप से दर्शन और इतिहास का गहराई से अध्ययन किया। अध्यात्म के प्रति उनका झुकाव बचपन से ही था और छात्र जीवन में उन्होंने पूर्वी और पश्चिमी देशों की धर्म तथा दर्शन से जुड़ी पद्धतियों का गहराई से अध्ययन किया। विवेकानन्द ने नए परिप्रेक्ष्य में धार्मिक विचारों के व्यापक प्रचार के लिए वर्ष 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। यह शैक्षिक तथा सांस्कृतिक कार्यों के जरिए सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन की शुरुआत थी। रामकृष्ण मिशन आदर्श कर्मयोग पर आधारित है। दिल्ली स्थित रामकृष्ण आश्रम के प्रमुख स्वामी शांतमानंद ने बताया कि विवेकानंद चाहते थे कि देश के युवा रूढ़िवाद से प्रभावित हुए बगैर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका को श्रद्धा के साथ निभाएं। उन्होंने कहा कि महज 39 वर्षों की जिंदगी में विवेकानंद ने आधुनिकता की दौड़ में धर्म की राह से भटक रही दुनिया को अपने विचारों की ऊर्जा से सही रास्ता दिखाया। विवेकानंद ने साबित किया कि देश के युवा चाहें तो दुनिया में सुविचारों की क्रांति लाकर अपनी पीढ़ियों को एक सम्पन्न विरासत दे सकते हैं।