सिद्धि का मोल

asiakhabar.com | December 23, 2018 | 5:41 pm IST
View Details

रामकृष्ण परमहंस की ख्याति से एक कथित योगी बहुत ईष्र्या रखता था। एक दिन उसने परमहंस को नीचा दिखाने की ठानी। वह उनके पास पहुंचा और बोला- ‘तुम्हारे पास कोई चमत्कार है भी या तुम यूं ही परमहंस कहलाने लगे हो?‘ रामकृष्ण ने जवाब दिया- ‘नहीं भाई! मैं तो बड़ा साधरण इंसान हूं। मेरे पास चमत्कार की शक्ति कहां।‘ योगी ने फिर ताना दिया-‘तुम परमहंस हो न, तो फिर पानी पर चलकर दिखाओ। ईसा मसीह भी पानी पर चले थे। हनुमान जी ने एक ही छलांग में समुद्र पार कर लिया था। सामने ही गंगा नदी बह रही है। इसके जल पर चलकर दिखाओ तो मानूं कि तुम सच्चे अर्थों में परमहंस हो।‘

रामकृष्ण ने सरलता से कहा- ‘नहीं, मैं पानी में नहीं चल सकता। क्योंकि परमेश्वर की ऐसी इच्छा ही नहीं है। मैं उसकी इच्छा के विपरीत कैसे जा सकता हूं।‘ योगी ने गरजते स्वरों में कहा- ‘अठारह साल, पूरे अठारह साल मैंने हिमालय पर घोर तपस्या की है। तब कहीं जाकर यह शक्ति मैंने प्राप्त की है। आज मैं इस गंगा नदी पर इस पार से उस पार तक चल सकता हूं।‘

उसकी गर्वोक्ति सुनकर परमहंस अत्यंत शांत व विनम्र भाव से बोले-‘मेरे भाई, तुमने अठारह साल बेकार कर दिए। मुझे तो गंगा के उस पार जाना होता है तो मांझी को आवाज देता हूं। वह नाव से मात्र दो पैसे में नदी पास करा देता है। जरा सोचो, अठारह साल में यदि तुमने नदी के पानी पर चलकर उसे पार करने की कथित सिद्धि प्राप्त की है, तो वह कमाई क्या दो पैसे से अधिक की है?‘ रामकृष्ण की बात सुनकर योगी निरुत्तर हो गया।

 


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *