वॉल मैगजीन

asiakhabar.com | May 7, 2023 | 6:42 pm IST
View Details

-रेनू सैनी-
गर्मी की छुट्टियां खत्म हो गई थीं। सभी बच्चों के स्कूल खुल गए थे। सरगुन आठवीं कक्षा में पढ़ती थी। एक दिन असेम्बली में स्कूल की प्रिंसिपल स्वाति कपूर बोलीं, बच्चो, तुम सबके लिए एक बहुत अच्छी खबर है। तुम सभी ने गर्मी की छुट्टियों में बहुत कुछ नया सीखा होगा। तुम सब अपने माता-पिता के साथ घूमने भी गए होंगे। मैं चाहती हूं कि तुम सब अपने अनुभवों पर आधारित एक प्रोजेक्ट बनाकर जमा करो और जिसका प्रोजेक्ट सर्वश्रेष्ठ होगा, उसे इनाम दिया जाएगा। यह सुनकर सभी बच्चे खुशी से उछल पड़े।
प्रिंसिपल ने बच्चों को सिर्फ एक सप्ताह का समय दिया था। सभी बच्चे अपने-अपने तरीके से प्रोजेक्ट बनाने की तैयारियों में जुट गए। अचानक सरगुन की क्लास की सबसे चंचल और सुंदर लड़की गौरी बोली, हम सब तो कुछ न कुछ नया कर ही लेंगे, पर बेचारी सरगुन कैसे करेगी? इसके दाएं हाथ में तो केवल तीन…। उसकी बात पूरी होती, उससे पहले ही सरगुन की बेस्ट फ्रेंड अर्निका बोली, गौरी, तुम्हें ऐसा नहीं बोलना चाहिए। देख लेना, सरगुन ही सबसे नई और उपयोगी वस्तु खोजेगी और तुम देखती रह जाओगी। उसकी बात सुनकर गौरी ने मुंह चिढ़ा दिया और अपनी सीट पर बैठ गई।
गौरी अक्सर सरगुन का मजाक उड़ाती थी।
सरगुन के दाएं हाथ में केवल तीन उंगलियां थीं। उसकी दो अंगुलियां दो साल पहले एक एक्सीडेंट में बुरी तरह मसल गई थीं, इसलिए अब उसके दाएं हाथ में केवल तीन उंगलियां रह गई थीं। शुरुआत में सरगुन को अपना काम करने में थोड़ी परेशानी हुई, लेकिन फिर धीरे-धीरे उसे आदत पड़ गई। अब तो उसे ऐसा महसूस ही नहीं होता था कि उसकी दो उंगलियां नहीं हैं।
सभी बच्चे अपना-अपना प्रोजेक्ट बनाने में लगे हुए थे। प्रिंसिपल ने बच्चों को ग्रुप में प्रोजेक्ट बनाने की अनुमति दे दी थी, इसलिए सरगुन, अर्निका और कुछ अन्य छात्रों के साथ अपना प्रोजेक्ट बनाने में लगी हुई थी। किसी ने भी अपने प्रोजेक्ट की खबर किसी को नहीं होने दी थी। प्रोजेक्ट जमा कराने से एक दिन पहले सभी बच्चे इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि उनका प्रोजेक्ट ही बेस्ट होगा। अगले दिन अचानक तेज बारिश होने लगी। सभी बच्चे स्कूल बड़ी मुश्किलों से अपने-अपने प्रोजेक्ट लेकर पहुंचे। स्कूल पहुंचकर सभी ने अपने-अपने प्रोजेक्ट निकाले। गौरी ने अपने सुंदर चित्रों से तैयार किए गए प्रोजेक्ट को निकाला तो यह देखकर उसके होश उड़ गए कि सारे चित्रों में न जाने कैसे पानी की बूंदें पड़ गई थीं। केवल दो-तीन चित्र ही साफ बचे थे, बाकी सभी में बड़े-बड़े धब्बे बन गए थे। यह देखकर गौरी खुद पर काबू नहीं रख पाई और रोने लगी। उसके रोने पर किसी का ध्यान नहीं गया। सभी अपने प्रोजेक्ट को सजाने-संवारने मे जुटे थे।
अचानक सरगुन ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोली, गौरी, तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। तुम मेरे ग्रुप में शामिल हो जाओ। इससे तुम्हारे मार्क्स नहीं कटेंगे। यह सुनकर गौरी को थोड़ी सांत्वना मिली। उसने अपने साफ चित्र सरगुन को देते हुए कहा, मेरे पास तो केवल ये हैं, तुम इन्हें अपने प्रोजेक्ट में कहीं प्रयोग कर सको तो अच्छा होगा। सरगुन बोली, बिल्कुल गौरी, तुम्हारे चित्र मेरे प्रोजेक्ट को और सुंदर बना देंगे। इसके बाद गौरी सरगुन के ग्रुप में शामिल हो गई। सभी बच्चों ने अपने-अपने प्रोजेक्ट जमा करा दिए।
आखिर परिणाम का दिन भी आ गया। सभी बच्चे असेम्बली में खड़े हुए थे और बेसब्री से परिणाम का इंतजार कर रहे थे। अचानक मंच पर प्रिंसिपल आईं और बोलीं, सभी बच्चों ने एक से बढ़कर एक प्रोजेक्ट बनाए हैं। लेकिन पुरस्कार तो किसी एक को ही दिया जाना था, इसलिए इस बार आठवीं कक्षा के प्रोजेक्ट वॉल मैगजीन को पुरस्कार के लिए चुना गया है। इस प्रोजेक्ट की ग्रुप हेड सरगुन है और उसके ग्रुप में अर्निका, गौरी, काव्या, तन्मय व गौरांश शामिल हैं। इस मैगजीन में सामान्य ज्ञान की बातों के साथ ही कहानी, कविता, चित्रों, पहेलियों, चुटकुलों और अन्य मनोरंजक जानकारियों को भी नए तरीके से पेश किया गया है। हमने निर्णय लिया है कि स्कूल की पत्रिका में इस सामग्री को डाला जाएगा और इन सभी बच्चों को उसके सम्पादन मंडल में शामिल किया जाएगा। यह सुनकर सरगुन के साथ ही पूरा ग्रुप उछल पड़ा। इस समय सबसे भावुक गौरी थी। वह तुरंत उठकर सरगुन के पास गई और उसके गले लगते हुए बोली, सरगुन, अगर तुम मेरी मदद नहीं करतीं तो मैं मदद का मूल्य कैसे जान पाती? अब मैं कभी भी किसी का मजाक नहीं उड़ाऊंगी, हर किसी की मदद करूंगी। सरगुन गौरी के हाथ में हाथ डालकर बोली, गौरी अभी तो स्कूल मैगजीन को ऊंचाइयों पर ले जाना है और तुम्हारे बनाए सुंदर चित्रों के बिना यह मुश्किल है। इसके बाद पूरा ग्रुप एकसाथ अपनी जीत की खुशी मनाने लगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *