बच्चो को ऐसे सिखाएं अनुशासन

asiakhabar.com | June 1, 2018 | 12:41 pm IST
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बच्चो को किस तरह अनुशासित करें यह कोई साधारण पहलू नहीं है | शादी से पहले हमे केवल अपने बारे में सोचना होता है और हम कभी कभी खुद भी बड़े अनुशासनहीन होते है लेकिन शादी होने के बाद चाहे वो लड़का हो या लड़की सब कुछ बदल जाता है अब आपको किसी के घर की Decent बहु बनके रहना होता है वो भी इतनी सारी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए आपको एक आदर्श role निभाना होता है | लडको के साथ भी यही होता है शादी से पहले वो चाहे जितनी बदमाशियां करले लेकिन शादी के बाद और खासतौर पर बच्चे हो जाने बाद आप माँ बाप होते है अब जो आप करते है बच्चे उसे सीखते है और आपके जैसा बनने की कोशिस करते है ये आप भी जानते है इसलिए आप किसी तरह का कोई रिस्क लेना नहीं चाहते इसलिए आप भी अपने व्यवहार के प्रति सजग रहते है ताकि आपके बच्चे से भी आप वैसा ही व्यवहार करने की उम्मीद रखें | मैंने देखा है कभी कभी बच्चो को अनुशासन सिखाने के साथ साथ किसी शरारत पर Parents उन्हें सज़ा भी दे देते है और कारण पूछे जाने पर कहते है ” ऐसा करना भी जरुरी होता है नहीं तो बच्चे बिगड़ जाते है और यह भी अनुशासन का ही एक हिस्सा है |” जबकि ऐसा नहीं है आप अगर चाहे तो आप बिना सज़ा दिए भी किसी बच्चे से जैसा व्यव्हार आप चाहते है वैसे व्यवहार करने की उम्मीद कर सकते है | आईये कुछ बातों के बारे में विस्तार से बात करते है |
ये गलती कभी नहीं करें – एक बात हमेशा ध्यान रखे कि उम्र से साथ साथ अनुभव होता है और आपके पास में वो बहुतायत में होता है लेकिन बच्चे और आप में दिन रात का फर्क होता है क्योंकि उनके पास उतनी जानकारी नहीं होती जितनी अपने अपने अनुभव से पायी है इसलिए हो सकता है उन्हें नहीं पता होता है कि किसी अलग तरह की स्थिति में किस तरह से पेश आना है ऐसे में अगर आप गुस्से में आकर उन्हें सज़ा देते है तो आप उन्हें यही सन्देश देते है कि जो कमजोर है और छोटे है उन्हें आदर कम देना चाहिए क्योंकि बच्चे बड़ी जल्दी सीखते है और अगर इस तरह की गलतफहमी को वो सीखते है तो उनके बड़े होने पर आपके लिए उनका ऐसा व्यवहार जो अपने उन्हें सिखाया है आपके लिए शर्मिंदगी की वजह बन सकता है | ऐसे में आप उसे सही और गलत के बीच का फर्क बताएं और उसे सिखाएं कि किसी खास तरह की स्थिति से कैसे निपटा जाये और अगली बार बच्चा जब ये सीख लेता है तो उसे इसके लिए कुछ प्रोत्साहन दें |सजा सबक का हिस्सा नहीं है – “सज़ा देने से अगर कोई सुधरता तो जेल से बाहर आने के बाद तो कोई भी अपराधी कुख्यात नहीं रह जाता और वो आदर्श होता ” इसलिए आप ये बात हमेशा ध्यान रखें कि बच्चो को सज़ा देकर आप बस केवल अपना गुस्सा उस पर उतार रहे है आप उस बात के लिए बड़े लेवल की प्रतिक्रिया कर रहे है जो आपको पसंद नहीं है | ऐसे में हो सकता है डर के मारे बच्चा आपके सामने ऐसा कुछ दोबारा नहीं करे लेकिन समय बीतने के साथ आपकी अनुपस्थिति में वो प्रयोग करने की जरूर सोचेगा और ऐसे बच्चे समय के साथ साथ माता पिता से कुछ जरुरी बाते छुपाने लगते है क्योंकि उन्हें लगता है जाहिर होने पर उन्हें घर में इसके लिए मार पड़ने वाली है इसलिए कभी कभी तो कुछ गंभीर बाते भी बच्चे अपने माता पिता से छुपाते है | इसका दुष्परिणाम सामने आने पर माता पिता पछताते है लेकिन तब कुछ बदला नहीं जा सकता है इसलिए शुरू से ही अपने बच्चो के मन से अच्छा connection बना कर रखें |


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