मोनी चौहान
छोटे बच्चों में होने वाली कफ की यह समस्या रात के समय या बच्चे के रोने पर और भी तीव्र हो
सकती है। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में यह समस्या साधारण उपायों से ही ठीक हो सकती
है, यदि समय पर ध्यान दिया जाए तो।
वायरल इन्फेक्शन:- खांसी की इस तकलीफ के पीछे अधिकांशतः पैराइनफ्लूएंजा जैसे वायरस कारण होते
हैं लेकिन कुछ केसेस में या बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी हो सकता है। वायरल इन्फेक्शन आम है और
इसके लक्षण 6 माह से 3 साल तक की उम्र तक के बच्चों में ज्यादा गंभीर रूप में देखने को मिलते हैं।
लेकिन कई बार बड़े बच्चों को भी ये शिकार बना सकते हैं। यह एक संक्रामक बीमारी है तथा पीड़ित से
दूसरों तक फैल सकती है। लक्षणों में मुख्यतौर पर शामिल हैं-
-सर्दी-जुकाम
-नाक बहना या अवरुद्ध होना
-बुखार
-गले में सूजन और दर्द
-साँस लेने में तकलीफ या तेज-तेज साँस लेना
-ज्यादा गंभीर मामलों में ओठों के आस-पास ऑक्सीजन की कमी से नीलापन आना, आदि
साधारण सर्दी से पनपती मुश्किल:- अधिकांश मामलों में क्रूप डिसीज की शुरुआत ठीक सामान्य सर्दी-
जुकाम जैसे इन्फेक्शन से ही होती है। जब कफ और सूजन बढ़ जाते हैं तो बच्चा एक अजीब सी आवाज
में खांसने लगता है। यह आवाज तेज और किसी जानवर (श्वान नहीं) के भौंकने जैसी सुनाई देती है। यह
खांसी रात में या बच्चे के रोने और परेशान होने पर और बढ़ सकती है। यही नहीं बच्चे को सांस लेने में
भी तकलीफ होती है और इस समय भी एक अजीब सी सीटी जैसी आवाज उसके गले से निकलती है।
इससे उनमें बैचेनी बढ़ सकती है और उसकी नींद में भी बाधा आ सकती है।
ध्यान देना है जरूरी:- इस तकलीफ के ज्यादातर मामलों में सामान्य इलाजों के जरिये आराम पाया जा
सकता है। घरेलू उपचार भी इसमें राहत देने का काम कर सकते हैं लेकिन कई बच्चों में यह एक बार
होने के बाद बार-बार लौटकर आ जाता है या फिर ध्यान न देने पर गंभीर रूप भी ले सकता है। इसलिए
इसका समय पर इलाज जरूरी है।
इसके लक्षण आमतौर पर 5-6 दिन तक के हो सकते हैं। इस दौरान उनका अतिरिक्त ध्यान रखना
जरूरी होता है। यदि बच्चे को साँस लेने में ज्यादा दिक्कत हो, उसकी सांस लेने की गति असामान्य हो
या उसकी आंखों, नाक और मुंह के आस-पास या नाखूनों के समीप की त्वचा नीली या ग्रे होने लगे तो
तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। लक्षणों पर काबू में करने के लिए सामान्यतौर पर कुछ उपाय अपनाये जा
सकते हैं, जिनमें शामिल हैं
-भापयुक्त हवा या कुछ केसेस में ताजा हवा में पीड़ित को कुछ देर साँस लेने देना जिससे उसकी खांसी
में आराम हो।
-बुखार, बदन दर्द आदि के लिए दवाएं देना।
-पीड़ित को जितना हो सके आराम करने देना और उसे धूल-धुएं या अन्य कफ पैदा करने वाली स्थितियों
से बचाना।
-अधिक से अधिक तरल पदार्थों के सेवन के लिए पीड़ित को प्रेरित करना।
-इसमें थोड़े गुनगुने सूप, गुनगुना या सामान्य तापमान वाले पानी आदि का सेवन शामिल है। बहुत छोटे
बच्चों के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम है। इसके अलावा मिल्क फॉर्म्युला भी अपनाया जा सकता हैः
-नाक खोलने के लिए नोज ड्रॉप्स का प्रयोग।
-बच्चे को सर थोड़ा ऊँचा रखकर सुलाएं।
-संक्रमित बच्चे को बाकी बच्चों से दूर रखें। साथ ही हाथ धोने और साफ रखने को नियमित आदत
बनाएं।