जब छोटे बच्चों के बोल हमें शर्मिंदा कर दें

asiakhabar.com | January 2, 2019 | 5:31 pm IST
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अक्सर आपने लोगों को कहते हुए सुना होगा कि आजकल के बच्चे तो बच्चों की तरह व्यवहार ही नहीं करते। यह बात बिल्कुल सही है कि आज के दौर के बच्चों में वैसी मासूमियत नहीं रही जो उनकी पहचान होती थी। कईं बच्चे तो ऐसी बातें कह देते हैं कि परिवार के लोगों को दूसरों के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है। बच्चे अब खिलौनों के बजाय टीवी और मोबाइल से खेलते हैं, इनसे वो ऐसी बातें सीख लेते हैं जो उनकी कच्ची उम्र के हिसाब से सही नहीं होती हैं। एकल परिवार के बढ़ते चलन ने इस समस्या को बढ़ा दिया है। ऐसे में बच्चों के माता-पिता हमेशा घबराए हुए रहते हैं कि कब उनका बच्चा गलत व्यवहार करना शुरू कर दे। वो कहीं जाने और लोगों को अपने घर बुलाने से कतराते हैं।

जब बच्चों की बातें आपको कर दें असहज

जब एक बार बच्चे गलत व्यवहार करना सीख जाते हैं, तो इसका पता नहीं होता है कि वो कब और कहां क्या बोल दें। बच्चे मासूम होते हैं, उन्हें दुनियादारी की समझ तो होती नहीं कि वो तोल-मोल कर बोलें, ऐसे में उन्हें जो मन में आता है वो कह देते हैं।

निजी बातें कह देना

कईं बच्चे परिवार की निजी बातें जैसे माता-पिता के आपसी संबंधों की या परिवार के दूसरे सदस्यों से हुए किसी विवाद के बारे में सबके सामने बता देते हैं। ऐसे में परिवार के बाकी लोगों को शर्मिंदा होना पड़ता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए, बच्चों के सामने केवल उन्हीं बातों पर चर्चा करें जो उनके लिए उपयुक्त हैं।

गाली देना

कुछ बच्चे गाली देना सीख जाते हैं, चूंकि बच्चों की समझ विकसित नहीं होती है न ही उन्हें पता होता है कि गाली देना बुरी बात है, इसलिए वो किसी के भी सामने गाली देने लगते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वो नजर रखें कि बच्चे गाली देना कहां से सीख रहे हैं। कहीं इसके जिम्मेदार वो खुद तो नहीं हैं। कईं परिवारों में गुस्से में गालियां देना सामान्य होता है इनमें अशिक्षित और गरीब तबके के लोग ही नहीं, अमीर और पढ़े-लिखे लोग भी होते हैं।

घर की आर्थिक स्थिति के बारें में बोल देना

घर में कईं तरह की समस्याएं होती हैं, पर लोग समाज में अपना एक स्तर बना के रहते हैं लेकिन कईं बार बच्चे घर की आर्थिक स्थिति की पोल खोल देते हैं। जैसे कईं बार होता है कि घर के हालात ठीक नहीं हैं तो किसी खास फंक्शन के लिए आपने अपनी किसी सहेली की साड़ी या जेवर मांगकर पहन लिए। पार्टी में किसी के तारीफ  करने पर आप तो यह बताने में लगी हैं कि आपकी साड़ी और जेवर कितने कीमती और अच्छे हैं लेकिन आपके बच्चे ने सबके सामने कह दिया की मम्मी के पास पैसे नहीं हैं इसलिए वो फलां आंटी से मांगकर पहनी है, तब आपको जो शर्मिंदी उठानी पड़ेगी उसका आप अंदाजा लगा सकती हैं।

तेज आवाज में बातें करना

कईं बच्चे बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते हैं और गुस्सा होने पर जोर-जोर से चिल्लाकर बोलने लगते हैं। घर में आप बर्दाश्त कर लेती हैं और उनकी बात मान लेती हैं इसलिए वो बाहर भी ऐसा ही व्यवहार करने लगते हैं। आप किसी के यहां डिनर पर गईं हैं या किसी को अपने घर आमंत्रित किया है, मेहमानों के सामने अगर आप अपने बच्चे को किसी काम के लिए मना कर रही हैं तो ऐसे में वो अपनी बात मनवाने के लिए चीखने-चिल्लाने लगता है, ऐसे में शर्मिंदी से बचने के लिए न केवल आपको उसकी बात माननी पड़ती है, बल्कि मेहमानों के सामने आपकी इमेज भी खराब होती है।

शॉपिंग के लिए जिद करना

अगर आपका बच्चा मॉल या किसी शॉपिंग सेंटर में कुछ खरीदने की जिद करता है और आप दिलाने से मना करते हैं या उसे आइस्क्रीम खिलाने से मना करते हैं तो वो रोने लगता है और अनाप-शनाप कहने लगता है। कईं बार तो बच्चे इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि वो अपनी मां को सबके सामने कहने लगते हैं कि आप गंदी हो, मुझे कुछ नहीं दिलाती और फर्श पर लोटने लगते हैं और आपका अच्छा खासा तमाशा बन जाता है।

अपशब्द कहना

कईं बच्चे इतने बदतमीज होते हैं कि वो घर और बाहर ही नहीं बल्कि स्कूल में शिक्षकों और दूसरे बच्चों को अपशब्द कहने से भी बाज नहीं आते। मोटू, भिखारी, पागल, चोर जैसे अपशब्द बिना सोचे-समझे ही इस्तेमाल कर लेते हैं।

ऐसे ठीक रखें बच्चों का व्यवहार

माता-पिता के लिए बच्चे को जन्म देने से बड़ी जिम्मेदारी उसकी अच्छी परवरिश की है। परिवार को बच्चे की पहली पाठशाला माना जाता है, यह पूरी तरह माता-पिता पर ही निर्भर होता है कि इस पाठशाला में बच्चे क्या सीखें।

बचपन से ही अच्छी आदतें डालें

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चे के जीवन के पहले छह वर्ष उसके लिये ब्ल्यु प्रिंट होते हैं।


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