गलत लाइफस्टाइल है बच्चों में डायबिटीज का कारण, यूं करें बचाव

asiakhabar.com | November 11, 2020 | 4:00 pm IST

लवण्या गुप्ता

डायबिटीज देश में तेजी से बढऩे वाली बीमारियों में से एक है। रिसर्च की मानें तो पिछले 25 साल में
इस बीमारी के मामलों में 64 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और विशेषज्ञ इस बढ़ौतरी को देश की आर्थिक
प्रगति के साथ जोड़कर देख रहे हैं। इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि आने वाले 6
सालों में देश में इस बीमारी के मरीजों की संख्या 13.5 करोड़ से ज्यादा हो सकती है, जो वर्ष 2017 में
7.2 करोड़ थी। इंडियन काऊंसिल ऑफ मैडीकल रिसर्च, इंस्टीच्यूट फॉर हैल्थ मैट्रिक्स और एवेलूशन और
पब्लिक हैल्थ फाऊंडेशन ऑफ इंडिया की नवम्बर 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 25 सालों में
भारत में डायबिटीज के मामलों में 64 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
विश्व बैंक की के अनुसार 1990 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 24,867 रुपए थी, जो 2016 में बढ़कर
1,09,000 हो गई। इसका सीधा अर्थ है कि खुशहाली बढऩे के साथ-साथ मधुमेह के रोगी भी बढ़ते जा
रहे हैं। साल 2017 में दुनिया के कुल डायबिटीज रोगियों का 49 प्रतिशत हिस्सा भारत में था और 2025
में जब यह आंकड़ा 13.5 करोड़ पर पहुंचेगा तो देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर एक बड़ा बोझ
होने के साथ ही आर्थिक रूप से भी एक बड़ी चुनौती पेश करेगा क्योंकि सरकार देश की एक बड़ी आबादी
को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान कर रही है।
इन्सुलिन बनाने की प्रक्रिया में मुश्किल होती है डायबिटीज

डायबिटीज में शरीर में इन्सुलिन बनाने की प्रक्रिया बाधित या कम हो जाती है। इन्सुलिन से शरीर को
ऊर्जा मिलती है और इस प्रक्रिया के प्रभावित होने से शरीर के प्रमुख अंगों का संचालन बाधित होने
लगता है। टाइप-1 डायबिटीज में हमारे शरीर में इन्सुलिन बनना बंद हो जाती है और मरीज को
इन्सुलिन थैरेपी पर निर्भर होना पड़ता है। टाइप-2 डायबिटीज में शरीर में इन्सुलिन के इस्तेमाल की
प्रक्रिया बाधित होती है। यह टाइप-1 से कम खतरनाक होती है और आम है। इसमें दवाएं खाकर बीमारी
को नियंत्रित रखा जा सकता है।
डायबटिक बच्चों के लिए उनके माता-पिता जिम्मेदार
रिसर्च के अनुसार दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले तकरीबन 30 फीसदी बच्चे मोटापे का शिकार
हैं, जिनमें से बहुत से बच्चे प्री-डायबटिक हाइपरटैंशन के भी शिकार थे। यह आने वाली पीढिय़ों की सेहत
की हालत की बड़ी चिंताजनक तस्वीर है। उनका कहना है कि बच्चों की इस हालत के लिए बच्चों से
ज्यादा उनके माता-पिता जिम्मेदार हैं क्योंकि उनकी दिनचर्या और खानपान की आदतें बच्चों को भी
बीमारी का शिकार बना रही हैं। इसलिए बच्चों पर किसी भी तरह की कठोर पाबंदी लगाने या उन्हें
हिदायतें देने की बजाय पेरेंट्स स्वयं स्वस्थ आदतें अपनाएं।
परिवार में किसी को डायबिटीज है तो बाकी सदस्य रहें सावधान
परिवार में किसी को डायबिटीज है तो बाकी सभी सदस्यों को सावधान होना होगा। डायबिटीज होने पर
इसकी दवा लेना जरूरी है। मीठे का सेवन कम करने, खानपान और दिनचर्या में बदलाव और स्वस्थ
जीवन शैली अपनाने के साथ ही दवा भी लेनी होगी।
हो सकती है यह समस्याएं
इस पर पूरी सावधानी से नजर न रखी जाए तो किडनी की समस्याएं, हृदयरोग, त्वचा सम्बन्धी
समस्याएं, आंखों की रोशनी का प्रभावित होना, सुनने में दिक्कत, पैरों की नसों पर प्रभाव और घाव
जल्दी न भरने जैसी बहुत-सी परेशानियां घेर सकती हैं।
इस तरह करें बचाव
-हैल्दी डाइट दें और खून पानी पीने के लिए कहें
-जंक फूड्स, मीठे, कोल्ड ड्रिक्स, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट से दूर रखें।
-अधिक एक्टिविटी करने के लिए कहें
-पेरेंट्स खुद भी शुगर टेस्ट व इंसुलिन का टीका लगाना सीखें।

-समय पर भोजन करने की आदत डालें
-पूरी नींद लेने के लिए कहें


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