आपने अक्सर देखा होगा कि छोटे बच्चे चॉक, मिट्टी, कागज यहां तक कि पेंट की खुरचन तक खाने लगते हैं। इसे पीका ईटिंग डिसऑर्डर कहते हैं। इसे यह नाम एक पक्षी के नाम से मिला है जो कुछ भी खाने के लिए मशहूर है। यह ईटिंग डिसऑर्डर इसलिए अनोखा है क्योंकि इससे प्रभावित व्यक्ति ऐसी चीजें खाता है जिनकी कोई न्यूट्रिशन वैल्यू नहीं होती।
क्या है इसकी वजह
यह बीमारी बच्चों के अलावा बड़ों को भी होती है। बच्चों में यह 1 साल से लेकर 6 साल के बीच देखी जाती है। चूंकि बच्चों में अपने आसपास के वातावरण को जानने-परखने की एक स्वाभाविक जिज्ञासा होती है। इसलिए वे हर चीज को मुंह में डालकर परखने की कोशिश करते हैं। लेकिन जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं उनकी यह आदत छूटती जाती है।
कुपोषण
इसके बाद भी अगर यह आदत न छूटे तो माना जाता है कि शरीर में कुछ खास तत्वों की कमी की पूर्ति के लिए वे ऐसा कर रहे हैं। इसलिए कुपोषण को बच्चो में पीका की एक वजह माना जा सकता है।
ऑटिज्म
कुछ बच्चों में ऐसा ऑटिज्म की वजह से होता है। ऑटिज्म का अर्थ है इन बच्चों का मानसिक विकास ठीक से नहीं हुआ है।
डायट से इलाज
अगर यह स्थिति कुपोषण की वजह से है तो पहले टेस्ट के जरिए जांच होनी चाहिए कि बच्चे के शरीर में किन तत्वों की कमी है। जो पोषक पदार्थ बच्चों के शरीर में कम हों डायट या दवाओं के जरिए उनकी पूर्ति की जानी चाहिए। आमतौर पर ऐसा करने से यह आदत छूट जाती है।
लेकिन अगर यह आदत ऑटिज्म की वजह से है तो बच्चे को बिहेवियर थेरपी के माध्यम से समझाना चाहिए कि ये चीजें उनके लिए हानिकारक हैं। इनमें बच्चे का ध्यान इन चीजों से हटाया जाता है, और ऐसा करने पर उन्हें प्रोत्साहन भी दिया जाता है।