कोलंबो। मालदीव सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्ति की जांच के लिए अन्य देशों से मदद मांगेगा। उसे शक है कि इन जजों ने रिश्वत लेकर सुप्रीम कोर्ट के कामकाज पर कब्जा किया और देश को राजनीतिक संकट में धकेला। यह जानकारी यूरोपीय यूनियन में मालदीव के राजदूत अहमद शियान ने दी है।
हिंद महासागर के मध्य पर्यटकों के लिए सुविधाजनक देश मालदीव में आपात स्थिति लागू है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद समेत नौ राजनीतिक कैदियों को दोषमुक्त करते हुए रिहा करने के आदेश के बाद सरकार ने मुख्य न्यायाधीश और एक अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश को गिरफ्तार कर लिया था।
अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने से इन्कार कर दिया और बाद में इसे एक अन्य पीठ के जरिये बदलवाया। राजदूत का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश को गतिहीन कर दिया और उसे अनिश्चितता की ओर धकेल दिया था।
बाद में जब पुलिस ने इन जजों को गिरफ्तार किया, तो उनमें से एक के पास डॉलर और मालदीव की मुद्रा रुफिया से भरा बैग पाया गया। बैग में 2,15,000 डॉलर और 1,50,000 रुफिया थे। उनके पास 24 लाख डॉलर की एक अन्य संपत्ति होने का भी पता चला। सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों को पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गयूम से रिश्वत लेकर साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
गयूम को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। गयूम ने यह धनराशि देकर सुप्रीम कोर्ट के जरिये मालदीव की चुनी हुई सरकार को हटाने की साजिश रची। राजदूत ने बताया कि गिरफ्तार किए गए दोनों जजों ने हाल के महीनों में विदेश के 12 दौरे किए थे। जिन देशों में वे गए उनमें भारत, श्रीलंका, मलेशिया, नीदरलैंड्स और ब्रिटेन शामिल हैं। इसलिए इन सभी देशों में उनके संपर्को की जांच होनी चाहिए।
UN से मांगी मदद
मालदीव में सरकार और सेना से नाउम्मीद हो चुके विपक्ष ने अब संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंटोनियो गुतेरस से गुहार लगाई है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सरकार और उनके बीच वार्ता में मध्यस्थता की अपील की है। विपक्षी दलों का कहना है कि इससे मालदीव में जारी सियासी उथल-पुथल को खत्म करने की प्रक्रिया में विश्वसनीयता आएगी।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद की मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के नेतृत्व में संयुक्त विपक्ष ने इस संबंध में यूएन महासचिव को पत्र लिखा है। इसमें देश के हालात पर चिंता जताते हुए राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को लेकर आशंका जताई गई है।
विपक्ष का मानना है कि यामीन ने यह बैठक सिर्फ अंतरराष्ट्रीय दबाव को कम करने के मकसद से बुलाई है। मालदीव में राजनीतिक संकट के समाधान के लिए गुतेरस ने इस माह की शुरुआत में मध्यस्थता की पेशकश की थी। एमडीपी ने एक बयान में कहा है, “किसी भी सार्थक बातचीत के लिए सरकार को पहले लोकतंत्र, कानून और देश के संविधान पर हमले बंद करने होंगे।”
बातचीत तभी संभव है जब मध्यस्थता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई पहल हो। इसके अलावा वार्ता से पहले सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा और सर्वोच्च अदालत समेत संसद के कामकाज को बहाल किया जाना चाहिए। विपक्षी नेताओं को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानने से इन्कार करते हुए राष्ट्रपति यामीन ने पांच फरवरी को देश में 15 दिन के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी थी।