नई दिल्ली। नॉर्वे का एक कस्बा ऐसा भी है, जहां मरना गैरकानूनी है। जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं। नॉर्वे के द्वीप स्वालवर्ड की राजधानी लॉन्गइयरबेन में कोई मर नहीं सकता है।
इसके पीछे की वजह भी बड़ी दिलचस्प है। ध्रुवीय देश होने की वजह से नॉर्वे में तापमान काफी कम रहता है। ऐसे में मौत के बाद जब लाशों को दफ्नाया जाता है तो वो सालों तक नहीं सड़ती हैं। इसलिए यहां किसी को मरने नहीं दिया जाता है। लॉन्गइयरबेन दुनिया के सबसे उत्तरी हिस्से में आता है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस कस्बे में ये कानून 1950 में लागू किया गया था, वो भी तब जब ये जानकारी सामने कि जिन लोगों को मरने के बाद दफ्न किया गया था, उनकी लाशें सालों तक वैसी ही रही। इस कस्बे में केवल दो हजार लोग ही रहते हैं, जो महीनों तक सूरज की रोशनी तक देख नहीं पाते हैं। नॉर्वे के इस कस्बे में तापमान माइनस 46.3 डिग्री तक गिर जाता है। वहीं साल भर औसत तापमान माइनस 17 डिग्री रहता है। लाश सालों-साल सड़ती नहीं है। ऐसे में अगर शख्स की मौत बीमारी से हुई होती है, तो लाश नहीं सड़ने की वजह से उस बीमारी के फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
यहां 1918 में स्पेनिश फ्लू की वजह से मरे लोगों की कब्रें बनी हुई हैं। उस वक्त इस फ्लू से पूरी दुनिया में लाखों लोग मरे थे।
अंतिम सांस कहीं और लेते हैं यहां के बाशिंदे
इस कस्बे में रहने वाले लोगों को मौत के बाद भी यहां की मिट्टी नसीब नहीं होती है। जैसे ही यहां रहने वाला कोई शख्स मौत के करीब नजर आता है। उसे मरने के लिए दूसरी जगह भेज दिया जाता है। यहां केवल मौत ही नहीं जिसे लेकर लोग परेशानी झेलते हैं। बल्कि कोई अस्पताल नहीं होने की वजह से गर्भवती महिला को कई महीने पहले ही शहर पहुंचना पड़ता है। ताकि वो आराम से बच्चे को जन्म दे सके।