ओस्ल। 1945 में अमेरिका के परमाणु हमले में हिरोशिमा से जीवित बचने वाली महिला संयुक्त रूप से नोबल पुरस्कार लेंगी। आइसीएएन को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। अभी 85 साल की सेतसुको थुर्लो संस्था के कार्यकारी निदेशक बीट्रिक फिन के साथ पुरस्कार प्राप्त करेंगी।
छह अगस्त 1945 में हिरोशिमा पर परमाणु हमले के समय वह महज 13 साल की थीं। हमले में उनके स्कूल का भवन तबाह हो गया था। साथी छात्र-छात्राएं झुलस गए थे। उस दौरान वह बच गईं। थुर्लो आइसीएएन में कार्यरत हैं।
गौरतलब है कि दुनिया भर में परमाणु हथियारों को खत्म करने के लिए अभियान चलाने वाले संगठन आइसीएएन को इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। इस बार का नोबेल शांति पुरस्कार किसी व्यक्ति की बजाय एक संगठन को मिला है। दस दिसंबर को यह थुर्लो व फिन को दिया जाएगा।
नॉर्वे के ओस्लो में शांति नोबेल पुरस्कार देने वाली कमेटी ने अपनी घोषणा में कहा है कि आइसीएएन को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से होने वाली भयानक मानवीय त्रासदी की तरफ लोगों का ध्यान दिलाने और अपनी कोशिशों से इस तरह के हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए संधि कराने के लिए उसे 2017 का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा।
नोबेल कमेटी ने चेतावनी दी है कि परमाणु युद्ध का संकट लंबे समय के बाद इस वक्त काफी बड़ा है। आइसीएएन दुनिया भर के नागरिक समाज का एक संगठन है जो परमाणु हथियारों पर पूरी तरह से रोक लगाने की संधि और उस पर अमल के लिए अभियान चला रहा है। आइसीएएन 2007 में शुरू किया गया। थुर्लो उस समय से ही इसकी एक अहम सदस्य रही हैं।