हिटलर की तानाशाहीः जब सिर्फ एक नंबर बनकर रह गए थे लाखों इंसान

asiakhabar.com | November 17, 2017 | 12:09 pm IST

17 Nov मनुष्य भावनाओं, संवेदनाओं, आंसुओं, ठहाकों, उल्लास, आनंद जैसे न जाने कितने भावों से मिलकर बना होता है। इन सारे अद्‌भुत मानवीय गुणों से बने इंसान को जिस एक चीज से पहचाना जाता है, वह होता है उसका नाम। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ऐसे लाखों लोग थे, जिनके नाम हमेशा के लिए उनसे छीन लिए गए थे और उनके शरीर पर गोद दिए गए थे नीरस नंबर।

क्या अजीब विडंबना थी कि वे लाखों लोग फिर उनके ही नाम से कभी नहीं पुकारे गए। दरअसल, जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने जब यहूदियों की पूरी प्रजाति खत्म करने के उद्‌देश्य से बड़े-बड़े यातना शिविर बनाए, तो उनमें मरने के लिए हजारों यहूदियों को छोड़ दिया गया।

जब गिनती की जाने लगी तो सबके नाम याद रखना जर्मन सैनिकों के लिए मुश्किल था। तब ये क्रूर निर्णय लिया गया कि बंदियों के नाम छीनकर उनके हाथ, चेहरे, छाती या पीठ पर नंबर गोद दिए जाएं। यहूदियों के लिए यह अपमानजनक और पीड़ादायी तो था ही, लेकिन इसने उन यहूदियों को और ज्यादा पीड़ा पहुंचाई जो युद्ध खत्म होने के बाद भी जीवित रहे, क्योंकि अपमान के वे नंबर्स जीवनभर उनके शरीर पर गुदे रहे और यातना की याद दिलाते रहे।


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