स्टीव जॉब्स की यह आदत बना सकती है आपको ज्यादा क्रिएटिव

asiakhabar.com | November 7, 2017 | 5:30 pm IST
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वॉशिंगटन। एपल के प्रतिभाशाली संस्थापक स्टीव जॉब्स की एक आदत को यदि आप भी अपनाते हैं, तो निश्चित तौर पर आप भी अपने काम में ज्यादा क्रिएटिविटी ला सकते हैं। तंत्रिका विज्ञान का सुझाव है कि उनकी एक आदत रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए ट्रिगर का काम कर सकती है।

जाहिर है कि अब आप इस आदत के बारे में जानने के लिए बेहद उत्सुक हो चुके होंगे, तो हम आपको बता दें कि वह लंबी दूरी तक टहलने जाते थे। जॉब्स की जीवनी लेखक वाल्टर इसास्कोन के मुताबिक एपल की सफलता के मास्टरमाइंड एक ऐसी ट्रिक को इस्तेमाल करते थे, जो उनके आईडिया को स्पार्क मिलता था।

हममें से कई लोग इसके बारे में जानते भी हैं और वह है लॉग वॉक करना। यह इतना आसान है। जॉब्स ऐसे अकेले व्यक्ति नहीं हैं, जो मेंटल एक्सरसाइज के लिए लॉन्ग वॉक पर जाते थे। अमेरिकी संस्थापक फादर थॉमस जेफरसन ने अपने भतीजे पीटर कार को एक पत्र लिखकर सलाह दी थी कि वह अपने दिमाग को साफ करने के लिए लॉग वॉक पर जाएं।

और कुछ नहीं सोचें

इस दौरान कोई किताब अपने साथ लेकर नहीं जाएं, क्योंकि वॉक करने का मकसद दिमाग को आराम देना है। यहां तक कि आप वॉक करने के दौरान अगर कुछ नहीं सोचेंगे, तो यह बेहतर होगा। इस दौरान आप आस-पास की चीजों पर अपना ध्यान लगाएं।

सुबह सोकर उठने के बाद आधे घंटे पैदल चलने की सलाह दी जाती है। यह आपकी नींद को तो दूर करती ही है, स्वास्थ्य के लिहाज से भी यह बेहतर होती है। द नेट एंड बटरफ्लाईः द आर्ट एंड प्रैक्टिस ऑफ बेकथ्रू थिंकिंग की लेखिका ओलिविया फॉक्स कबाना और जूदाह पोलाक ने भी इसकी सलाह दी है। यदि आपको अपने लिए बिना दिमाग की कोई एक्टिविटी करनी है, तो यह वॉकिंग है।

यह होते हैं फायदे

चलने से रक्तचाप कम होता है। यह समस्याओं को ठीक करने की प्रक्रिया से मन को अलग कर देता है, जिससे आप अधिक मुक्त होकर इससे जुड़ पाते हैं और इसे रचनात्मक भी कहा जा सकता है। साल 2014 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि लंबी सैर से 60 फीसद तक रचनात्मकता बढ़ाती है।

जॉब्स की आखिरी सीख बदल देगी जिंदगी

स्टीव जॉब्‍स की मौत 5 अक्टूबर 2011 को पैन्क्रियेटिक कैंसर से हुई थी। उन्होंने अंतिम समय में जो बात कही थी, वह आपकी पूरी जिंदगी के दर्शन को बदल सकती है।

जॉब्‍स ने कहा था कि मैं आज इस बेड पर हूं। अगर मैं अपनी पूरी लाइफ को याद करता हूं, तो पाता हूं कि जिंदगी में जो भी नाम-पैसा मैंने कमाया, वो मौत के समय किसी काम का नहीं है। जिंदगी के इस मुकाम पर आकर मुझे यही समझ में आया कि पैसा जीवन का सिर्फ एक हिस्सा है।

अपने बचपन के सपनों को पूरा करें

जब आप अपने अंतिम समय के लिए पर्याप्त रुपया जोड़ लें, तो आपको रिश्तों पर ध्‍यान देना चाहिए। बचपन के सपनों को पूरा करने पर समय लगाना चाहिए। हमेशा और लगातार पैसा कमाने की आदत आपको मेरी तरह विकृत इंसान बना देगी।

आप किसी काम के लिए ड्राइवर हायर कर सकते हैं पर चाहे जितना पैसा हो, किसी को अपनी बीमारी के लिए हायर नहीं कर सकते। बीमारी का दर्द इंसान को खुद ही महसूस करना होता है. किसी भी चीज को दोबारा हासिल किया जा सकता है, सिवाए जिंदगी के।


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