खार्तूम। युद्धग्रस्त सूडान में हजारों लाशें खुले में पड़ी हुई हैं जिससे बड़े पैमाने पर महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है।
लंदन स्थित चैरिटी संस्था ‘सेव द चिल्ड्रेन’ ने मंगलवार को यह जानकरी दी। सूडानी सेना प्रमुख अब्देल फत्ताह अल-बुरहान और पूर्व उप मोहम्मद हमदान डागलो (अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज प्रमुख) के बीच जारी लड़ाई के कारण देश की सड़कें शवों से पटी पड़ी हैं।
संघर्ष के चार महीनों में सूडान की राजधानी खार्तूम की सड़कों पर हजारों लाशें सड़ी हुयीं अवस्था में पड़ी और मुर्दाघरों में पानी भर गया है। सेव द चिल्ड्रेन ने शहर में बड़ी बीमारी फैलने के खतरे के बारे में चेतावनी दी है।
गौरतलब है कि सूडान ने हाल के वर्षों में बार-बार हैजा का प्रकोप देखा गया है और डॉक्टरों ने युद्ध के कारण नए खतरे की चेतावनी दी है। सेव द चिल्ड्रेन ने कहा, “जल को शुद्ध बनाने का विकल्प नहीं होना भी शहर में हैजा फैलने की आशंका पैदा कर रहे हैं।’
गैर-सरकारी संगठन ने कहा कि परीक्षण के लिए एक कार्यशील सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशाला के बिना यह आकलन करना मुश्किल है कि सूडान में हैजा का प्रकोप है या नहीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि पंद्रह अप्रैल से शुरू हुए संघर्ष के कारण 80 फीसदी पीड़ितों के लिए अस्पतालों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है।
सेव द चिल्ड्रेन ने कहा, “लंबे समय तक बिजली की कमी के कारण शहर के मुर्दाघरों ठंडक नहीं हैं और शव गर्मी में सड़ने लगे हैं।” संगठन के डॉक्टर बशीर कमाल एल्डिन हामिद ने कहा, “जो लोग मर गए हैं उन्हें सम्मानजनक अंत्येष्टि देने में असमर्थता खार्तूम के निवासियों की पीड़ा को भो समझा जा सकता है।”
द आर्म्ड कंफ्लिक्ट लोकेशन एंड इवेंट डेटा प्रोजेक्ट केअनुमान के अनुसार सूडान में लड़ाई में कम से कम 3,900 लोग मारे गए हैं। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी मामलों की एजेंसी ने मंगलवार को कहा कि 40 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं।
संरा का कहना है कि 60 लाख से अधिक लोग ‘मौत के बेहद नजदीक हैं’। सहायता समूह नौकरशाही बाधाओं, सुरक्षा चुनौतियों और लक्षित हमलों के कारण जीवन रक्षक सहायता प्रदान करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
संघर्ष शुरू होने के बाद से खार्तूम में एक दिन भी ऐसा नहीं बीता, जब नागरिक भारी तोपों, हवाई हमलों या गोलियों की आवाज ने भयभीत नहीं हुए हों। एएफपी को बताया कि लड़ाई में 13 नागरिक मारे गए थे। सूत्र ने उनकी सुरक्षा के लिए गुमनाम रहने का अनुरोध किया, क्योंकि चिकित्सा कर्मियों को निशाना बनाया गया है।
एक बस चालक ने बताया कि युद्ध शुरू होने के बाद से ये सबसे भीषण झड़पें हैं। उसने कहा कि उसे राजधानी के उत्तर-पश्चिम में जाने से रोका गया है।