न्यूयॉर्क। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता को आगे बढ़ाने के संयुक्त राष्ट्र महासभा के फैसले की आलोचना की है। इसे एक अवसर की बर्बादी करार देते हुए भारत ने कहा कि सुरक्षा परिषद सुधार पर बातचीत बिना किसी प्रगति के अगले 75 साल तक जारी रह सकती है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 78वें सत्र के लिए अंतर-सरकारी वार्ता प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर एक मौखिक मसौदा पारित किया था। 78वां सत्र इस साल सितंबर में शुरू होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि भारत अपने रुख पर कायम है कि वार्ता को आगे बढ़ाने का फैसला सिर्फ तकनीकी कवायद तक सिमट कर नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि वह वार्ता को आगे बढ़ाने की इस तकनीकी कवायद को एक और अवसर गंवाने की तरह देखती हैं, जिसमें पिछले चार दशक में कोई प्रगति नहीं हुई है।
कंबोज ने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र का एक जिम्मेदार सदस्य है। उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि अपने वर्तमान स्वरूप और तौर-तरीकों में कार्यवाही के अधिकृत रिकॉर्ड के बिना वार्ता प्रक्रिया वास्तविक सुधार की दिशा में कई वर्षों तक जारी रह सकती है। उन्होंने जोर दिया कि सुधार प्रक्रिया के बिना सुरक्षा परिषद में सभी देशों का सही तरीके से प्रतिनिधित्व नहीं हो पा रहा है।
भारत ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र का एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते हम सुधारों का समर्थन करने वाले हमारे साझेदारों के साथ इस प्रक्रिया में शामिल होते रहेंगे और भाषणों की बजाय इसे लिखित वार्ता में तब्दील करने के प्रयासों पर जोर देते रहेंगे।