लंदन। अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस द्वारा सीरिया पर संयुक्त रूप से किए गए हवाई हमले ने दुनिया को चौंका दिया है। जहां इस हमले का ब्रिटेन, तुर्की ने समर्थन किया है वहीं ईरान ने इस हमले को अपराध और तीनों देशों को अपराधी करार दिया है।
ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्लाह अली ने इस हमले को लेकर कहा कि इससे अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन को कुछ हासिल नहीं होने वाला। यह अपराध है और उन्हें इस अपराध से कुछ हासिल नहीं होगा।
वहीं तुर्की ने अमेरिका के इस संयुक्त हमले का समर्थन किया है। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सीरिया में रासायनिक हमले में कई लोग मारे गए और असद शासन पर हुए तीन देशों के संयुक्त हमले का हम स्वागत करते हैं।
ब्रिटिश पीएम ने कहा हमले का उद्देश्य गृहयुद्ध भड़काना नहीं
इनके अलावा ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने शनिवार को सीरिया पर किये हवाई हमलों को लेकर कहा कि सारिया की केमिकल हथियारों की क्षमता को कम करने के लिए सैन्य कार्रवाई के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चार वायुसेना टोरनैडो जेट्स की मदद से सीरिया में सैन्य ठिकानों पर हमले किए गए।
बताया जाता है कि खुफिया विभाग के द्वारा ये जानकारी दी गई थी कि सीरिया के दौमा में केमिकल अटैक करवाने के पीछे जिम्मेदार सीरियाई राष्ट्रपति बसर-अल-असद ही था। इसके बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अमेरिका और फ्रांस के द्वारा किये जा रहे जवाबी हमले में उनका साथ दिया।
मे ने कहा कि मिसाइल को इस प्रकार से तैयार किया गया था कि हमले में किसी भी नागरिक की मौत ना हो। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा व्हाइट हाउस से हमले की घोषणा के कुछ मिनट बाद ही मे ने अपना बयान जारी कर कहा कि यह हमला गृह युद्ध उकसाने के लिए नहीं है, साथ ही यह सत्ता परिवर्तन के लिए भी नहीं है।
ब्रिटिश संसद के अप्रूवल के बिना हमले करवाने के सवाल पर पीएम ने कहा कि कार्रवाई में तेजी लाना समय की मांग थी। आपको बता दें कि पिछले शनिवार को दौमा में हुए केमिकल हमले में बच्चों सहित 75 लोग मारे गए थे और ब्रिटेन ने इसके पीछे रूस को जिम्मेदार ठहराया था।
पीएम मे ने कहा कि, हालांकि ये कार्रवाई सिर्फ औऱ सिर्फ सीरियाई शासन को रोकने के लिए है, साथ ही यह उन सभी के लिए एक संदेश है जो इस बात पर विश्वास करते है कि वे मानवजाति पर केमिकल हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। हम सीरिया में, यूके की गलियों में या दुनिया में कहीं पर भी केमिकल हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दे सकते हैं।
मे ने आगे कहा कि ब्रिटेन और इसके सहयोगियों ने केमिकल हथियारों के इस्तेमाल को रोकने के लिए सभी कूटनीतिक तरीकों का सहारा ले लिया था लेकिन इसे हमेशा नाकाम कर दिया गया। इसलिए हमारे सामने सैन्य कार्रवाई करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था।
इधर ट्रंप ने कहा कि जब तक असद सरकार केमिकल हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगा सकते हैं तब तक वे अपना जवाबी कार्रवाई पर भी रोक लगा सकते हैं। बताया जाता है कि 2015 में सीरिया में असद की सरकार वापस लाने में मदद करने वाले रूस ने केमिकल अटैैक का उल्टा ब्रिटेन पर आरोप लगा दिया था। ब्रिटिश पीएम ने कहा कि ये पहली बार है कि प्रधानमंत्री होने के नाते मुझे इस तरह की बड़ी सैन्य कार्रवाई करने का निर्णय लेना पड़ा। और ये निर्णय मैंने हल्के में नहीं लिया है।