सिंगापुर। सिंगापुर में एक गुरुद्वारे की स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर समारोह मनाए जा रहे हैं और इस दौरान वहां प्रार्थना सभाएं भी आयोजित की गईं जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।
यह गुरुद्धारा सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल के विशाल मैदान के सामने जालान बुकिट मेराह में स्थित है। गुरुद्वारे में शताब्दी वर्ष समारोह से जुड़े कार्यक्रम 15 जून से शुरू हुए और ये कार्यक्रम दिसंबर तक होंगे, जिसमें सिंगापुर राष्ट्रीय दिवस से जुड़ा एक प्रमुख कार्यक्रम भी शामिल है।
पंजाब से पहली बार यहां 18वीं सदी में सिख आए थे और उनमें एक क्रांतिकारी भी शामिल है जिसने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी और उसे अंग्रेजी हुकूमत ने कैद कर लिया था।
गुरुद्वारे के प्रवेश द्वार पर दो भित्तिचित्र बनाए गए हैं जिनमें से एक संत भाई महाराज सिंह का है। समाचार पत्र ‘द स्ट्रेट्स टाइम्सद्ध की एक खबर के अनुसार सिंह को 1850 में ब्रिटिश कैदी के रूप में सिंगापुर लाया गया था। दूसरा भित्तिचित्र उन सिखों के संबंध में है जिन्होंने सिंगापुर के प्रारंभिक वर्षों में पुलिस बल में सेवाएं दी थीं।
सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन षणमुगरत्नम ने गुरुद्वारे के शताब्दी समारोह के आधिकारिक शुभारंभ के दौरान छह जुलाई को भित्तिचित्रों का अनावरण किया तथा उन पर हस्ताक्षर किए।
इस गुरुद्वारे की स्थापना 18वीं सदी में सिंगापुर लाए गए सिख प्रवासियों ने की थी। बाद में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्ध में मारे गए सिख सैनिकों के परिवारों ने भी यहीं आश्रय लिया था।
गुरुद्वारे में सुखमनी साहिब और शबद कीर्तन किया गया। इस गुरुद्वारे में प्रतिदिन लगभग 1,000 भक्तों और सप्ताहांत में 2,000 भक्तों के लिए लंगर (भोजन) का प्रबंध है। यह गुरुद्वारा 1924 में बनकर तैयार हुआ था।