बीजिंग। बारिश की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए चीन बड़े पैमाने पर वेदर चेंजिंग प्रोजेक्ट (मौसम परिवर्तन परियोजना) को क्रियान्वित करने की योजना बना रहा है। यह प्रोजेक्ट स्पेन देश से तीन गुना बड़े इलाके में बारिश करा सकेगा।
इस सिस्टम को ठोस ईंधन से जलने वाली भट्टियों के एक नेटवर्क से तैयार किया गया है, जो सिल्वर आयोडाइड नाम का यौगिक बनाता है। यह यौगिक बर्फ की जैसी संरचना वाला होता है, जिसे क्लाउड सीडिंग यानी बादलों से पानी बरसाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इस सिस्टम के एक बार शुरू हो जाने के बाद क्षेत्र में साल भर में करीब 10 अरब घन मीटर तक वर्षा में को बढ़ाया जा सकेगा। बताते चलें कि स्पेन का क्षेत्रफल करीब 620,000 वर्ग मील है। इस सिस्टम से इससे तीन गुना बड़े इलाके में बारिश कराने के लिए हजारों छोटे बर्निंग चैंबर्स (भट्टियों) को तिब्बती पठार में स्थापित किया जाएगा।
दुनिया का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट
यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसमें मौसम को बदलने की कोशिश की गई है। यह प्रणाली छोटे कम-तकनीक वाले चैंबर्स पर निर्भर करती है, जहां ठोस ईंधन को जलती है, जो सिल्वर आयोडाइड पैदा करती है।
जैसे हवा में पहाड़ की तरफ जाती है, ये कण भी हवा के साथ बहते जाते हैं और बारिश के बादल बनते हैं। यह प्रणाली चीन के सरकारी स्वामित्व वाली एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन ने विकसित की है। यह भारत की तरफ आने वाले मानसूनी बादलों को इंटरसेप्ट करेगा।
बर्निंग चैंबर्स को स्पेस साइंटिस्ट्स ने डिजाइन किया है। इन्हें 5,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में जलाया जा सकता है। यहां ये उच्च घनत्व वाले ठोस ईंधन को आसानी से जला देते हैं। बर्निंग चैंबर्स की मौजूदा डिजाइन इतनी सटीक है कि बिना रखरखाव के ये महीनों तक जल सकते हैं और केवल वाष्प और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं।
उन्हें पर्यावरण संबंधी संवेदनशील क्षेत्रों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष लेई फानपी ने परियोजना के महत्व के बारे में कहा कि तिब्बत में मौसम में सुधार करना चीन की पानी की कमी की समस्या को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण खोज है। यह न केवल चीन के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा, बल्कि विश्व समृद्धि के लिए भी फायदेमंद होगा।