कोलंबो। श्रीलंका में बौद्धों और मुस्लिमों के बीच लगातार हिंसा के बाद दस दिनों के लिए आपातकाल लगा दिया गया है। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ समय से बौद्ध और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव के चलते श्रीलंका के हालात काफी खराब हो गए हैं।
खबरों के मुताबिक, एक कैबिनेट नोट के बाद इमरजेंसी लगाने की घोषणा की गई है। चिंता का विषय यह है कि इस समय भारतीय क्रिकेट त्रिकोणीय सीरिय खेलने के लिए श्रीलंका में ही है। हालांकि बताया जा रहा है कि खिलाड़ियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
सरकार के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि श्रीलंका सरकार ने सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने वालों के खिलाफ ‘कठोर कार्रवाई’ करने के लिए एक देशव्यापी आपातकाल की स्थिति लागू की है।
हालात बिगड़ने के बाद सोमवार को सेंट्रल कैंडी में कर्फ्यू लगाया गया था। यहां मुस्लिम और बौद्ध समुदायों के बीच हिंसा हो गई थी, जिसमें एक बौद्ध समुदाय का व्यक्ति मारा गया और मुस्लिम व्यापारी को आग लगा दी गई।
पुलिस ने बताया कि सोमवार को कैंडी जिले में सप्ताहांत के बाद दंगे और आगजनी की घटनाएं हुई थीं। वहीं अल जजीरा के सूत्रों के मुताबिक, हिंसा पूरे दक्षिण एशियाई द्वीप राष्ट्र में फैल रही है।
हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब श्रीलंका में सांप्रदायिक हिंसा हुई है। इससे पहले भी यहां बौद्धों और मुस्लिमों के बीच हिंसक झड़पें होती रही हैं। श्रीलंका की कुल जनसंख्या का 10 फीसद यानी 21 मिलियन मुस्लिम हैं, जबकि 75 प्रतिशत आबादी बौद्धों की है। वहीं 13 प्रतिशत श्रीलंका में हिंदू रहते हैं।
फरवरी 2018 में बौद्ध और मुस्लिम समुदायों के बीच संघर्ष के दौरान पांच लोग घायल हो गए थे और कई दुकान और एक मस्जिद क्षतिग्रस्त हो गई थी। जून 2014 में, घातक अल्थगमा दंगे के बाद एक मुस्लिम विरोधी अभियान शुरू किया गया था। यहां कुछ कट्टर बौद्ध समूहों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय के लोग बौद्धों पर इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए दबाव बनाते हैं।
बौद्ध पुरातात्विक स्थलों को बर्बाद करने का आरोप भी मुस्लिम समुदाय के लोगों पर लगता रहा है। ज्ञात हो कि श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने 2015 में सत्ता संभालने के बाद मुस्लिम विरोधी अपराधों की जांच करने का वादा किया था।