वाशिंगटन। अमेरिका की सैर अथवा उच्च शिक्षा के लिए निर्धारित वीज़ा अवधि से
अधिक समय तक ठहरने वालों की अब ख़ैर नहीं होगी। इसके लिए ट्रम्प प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार
करने का फ़ैसला किया है। अमेरिका में प्रति वर्ष पांच करोड़ बीस लाख लोग सैर-सपाटे, शिक्षा और
बिज़नेस करने के दौरे पर आते हैं। करीब 98 फीसदी वीज़ा अवधि समाप्त होते ही लौट जाते हैं, लेकिन
अफ़्रीका के छोटे-छोटे जैसे 20 ऐसे देश हैं जो वीज़ा नियमों की अनदेखी करते पाए गए हैं। इनमें भारत
का नाम भी शामिल है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा हस्ताक्षरित एक आदेश में सोमवार की शाम स्पष्ट
तौर पर कहा गया कि आव्रजन कस्टम विभाग को वीज़ा नियमों की अनदेखी करने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी
कारवाई करना चाहिए। इस आदेश के अनुसार अब अमेरिका आने वाले पर्यटकों, शिक्षार्थियों अथवा
व्यवसाइयों को वीज़ा के साथ एक निश्चित रक़म का बांड भी भरना होगा अथवा ऐसे देशों के ख़िलाफ़
वीज़ा नियमों में और कड़ाई की जाएगी। वीज़ा नियमों को कमतर आंकना और निर्धारित अवधि से
अधिक ठहरना राष्ट्र हितों के ख़िलाफ़ समझा जाएगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पहले भी वीज़ा नियमों की
अनदेखी करने वाले देशों ख़ासकर अफ़्रीकी देशों के बारे में कड़ी कार्रवाई करने का संकेत दे चुके हैं।
प्रशासन की ओर से वित्त वर्ष 2017 के प्रसारित आंकड़ों में बताया गया है कि 20 देशों के सात लाख
ऐसे वीज़ाधारक थे, जो अवधि ख़त्म होने के बाद भी अमेरिका में ठहरे थे। इनमें से क़रीब आधे लोगों की
हाई शिनाख्त कर उन्हें वापस भेजा जा सका। इनमें कनाडा और मेक्सिको के अलावा अफ़्रीका के छोटे
देशों में चाड, डिजीबोटि, लाइबेरिया, सोमालिया और बरूकिनो आदि देश हैं।