जंजीबार। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपनी जंजीबार यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली मिविन्यी के साथ भारतीय नौसेना के पोत ‘त्रिशूल’ पर स्वागत समारोह में हिस्सा लिया और कहा कि आईएनएस त्रिशूल की यहां मौजूदगी क्षेत्र में शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने की भारत की की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। भारतीय नौसेना का पोत ‘त्रिशूल’ अभी तंजानिया में है।
जयशंकर ने जंजीबार-तंजानिया में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास का परिसर स्थापित करने के उद्देश्य से हुए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया। आईआईटी मद्रास का यह प्रस्तावित परिसर भारत से बाहर आईआईटी का पहला परिसर होगा।
विदेश मंत्री जयशंकर दो दिवसीय यात्रा पर बुधवार को जंजीबार पहुंचे। उन्होंने राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली मिविन्यी से भेंट की और रक्षा सहयोग सहित द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।
जयशंकर ने बृहस्पतिवार को ट्वीट किया, ”जंजीबार के राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली मिविन्यी के साथ आईएनएस त्रिशूल पर स्वागत समारोह में हिस्सा लिया। वहां के स्पीकर, मंत्रियों, सांसदों और तंजानियाई सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों एवं भारतीय समुदाय के लोगों का स्वागत किया।” उन्होंने कहा, ”जंजीबार में आईएनएस त्रिशूल की मौजूदगी भारत की ‘सागर पहल’ संबंधी प्रतिबद्धता की परिचायक है।”
भारत ने अपनी तटीय अवसंरचना को सुदृढ़ करने एवं विभिन्न देशों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने के लिए ‘सागर पहल’ अर्थात क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं प्रगति की पहल शुरू की है।
जयशंकर ने जंजीबार-तंजानिया में आईआईटी मद्रास का परिसर स्थापित करने के लिए भारत के शिक्षा मंत्रालय, आईआईटी मद्रास और तंजानिया के शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण मंत्रालय के बीच सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया।
विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, ”आईआईटी मद्रास का जंजीबार परिसर स्थापित करने के समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का साक्षी बना। इस अवसर पर राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली मिविन्यी, अन्य मंत्रियों की उपस्थिति के लिए आभार।”
जयशंकर ने कहा कि यह ऐतिहासिक कदम वैश्विक दक्षिण क्षेत्र को लेकर भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह परिसर भारत और तंजानिया के बीच दीर्घकालिक मित्रता को प्रदर्शित करता है और अफ्रीका एवं वैश्विक दक्षिण क्षेत्र के लोगों के साथ संपर्क बढ़ाने को लेकर भारत के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
जयशंकर पांच से छह जुलाई तक जंजीबार की यात्रा पर हैं। इस दौरान वह भारत की ऋृण सुविधा से वित्तपोषित जल आपूर्ति परियोजना का दौरा करेंगे और यहां के शीर्ष नेतृत्व से भेंट करेंगे।
इससे पहले, जंजीबार के राष्ट्रपति से भेंट करने के बाद विदेश मंत्री ने ट्वीट किया, ”राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली मिविन्यी से भेंट करके प्रसन्न हूं। भारत और जंजीबार के बीच मजबूत गठजोड़ को लेकर उनकी प्रतिबद्धता सराहनीय है। हमारे विकास गठजोड़ और रक्षा सहयोग ऐसे क्षेत्र हैं जिससे राष्ट्रपति अली मिविन्यी काफी करीब से जुड़े हैं।”
आईएनएस ‘त्रिशूल’ पर स्वागत कार्यक्रम में राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली मिविन्यी की मौजूदगी में जयशंकर ने कहा, ”भारत के पश्चिमी तट और अफ्रीका के पूर्वी तटों के बीच संबंध, मैं समझता हूं कि काफी ऐतिहासिक हैं। और आज हमारे पास इसका उत्सव मनाने एवं हमारे विकास गठजोड़ को मजबूत बनाने का अवसर है।” उन्होंने कहा, ”अंतत: हमारा ध्यान विकास को बढ़ाने पर है और विकास, सुरक्षा से जुड़ा होता है।”
जयशंकर ने कहा, ”यह तथ्य है कि ये गतिविधियां ‘सागर पहल’ के तहत संचालित होती हैं जिसकी शुरुआत आठ वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी। यह आज इस बात को रेखांकित करता है कि जल क्षेत्र केवल कारोबार के लिए ही नहीं, बल्कि हमारे बीच सांस्कृतिक सेतु भी है।” उन्होंने कहा, ”जल क्षेत्र हमारे लिए साझी सुरक्षा का विषय है और इन जल क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हम सभी की प्रतिबद्धता होना चाहिए।”
विदेश मंत्री ने कहा, ”हमने जल विकास के क्षेत्र में जंजीबार के साथ अपने अनुभव साझा किए हैं जो हमारे लिए भी बड़ी चुनौती का विषय रहा है।” जयशंकर ने कहा कि जी20 में अफ्रीकी संघ की स्थायी सहभागिता का प्रस्ताव किया गया है और समूह के सदस्य देशों को इस पर विचार करना चाहिए।
भारतीय नौसेना के पोत ‘त्रिशूल’ पर स्वागत समारोह में हिस्सा लेने के बाद विदेश मंत्री का सात से आठ जुलाई तक तंजानियाई शहर दार-ए-सलाम जाने का कार्यक्रम है जहां वह भारत-तंजानिया संयुक्त आयोग की बैठक की अपने समकक्ष के साथ सह अध्यक्षता करेंगे। उनका इस देश में कई मंत्रियों सहित शीर्ष नेतृत्व से मिलने का भी कार्यक्रम है।
अपनी यात्रा के दौरन जयशंकर भारत के लिए संसदीय मित्रता समूह के सदस्यों से मिलेंगे और भारत-तंजानिया कारोबारी बैठक का उद्घाटन करेंगे। वह दार-ए-सलाम में स्वामी विवेकानंद की आवक्ष प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे।