एजेंसी
दुबई। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने दावा किया है कि उन्हें काबुल छोड़ने
के लिए मजबूर किया गया और रक्तपात को रोकने के लिए उन्होंने देश छोड़ने का फैसला किया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, गनी ने बुधवार रात संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से एक लाइव
फेसबुक प्रसारण के दौरान अपनी मूल भाषा पश्तो में हमवतन लोगों को संबोधित करते हुए यह बयान दिया।
उन्होंने कहा, अगर मैं रुका होता, तो मैं काबुल में खून-खराबा होता देख रहा होता।
उन्होंने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा, जो लोग सोचते हैं कि मैं भाग गया हूं, उन्हें जज नहीं करना
चाहिए, अगर वे सभी विवरण नहीं जानते हैं।
गनी ने कहा, वे मुझे हर कमरों में जाकर ढूंढ रहे थे।
यह निर्णय लिया गया क्योंकि 25 साल पहले जो हुआ वह दोहराया जाने वाला था। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति को
एक बार फिर लोगों की आंखों के सामने फांसी दी जाने वाली थी, और ऐसा शर्मनाक इतिहास एक बार फिर
दोहराया जाता।
गनी पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नजीबुल्लाह अहमदजई का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें 1996 में तालिबान ने मार दिया
था।
अहमदजई का शव राष्ट्रपति भवन के बाहर ट्रैफिक लाइट के खंभे से लटका हुआ मिला था।
तालिबान बलों के काबुल में प्रवेश करते ही अचानक देश छोड़ने के लिए पूर्व मंत्रियों ने गनी की कड़ी आलोचना की
थी।