बैंकाक। म्यांमा की सैन्य सरकार ने सैनिकों द्वारा नागरिकों की सामूहिक हत्या किए जाने से इनकार किया है। सैन्य सरकार ने तीन बौद्ध भिक्षुओं और एक महिला सहित 20 लोगों की मौत के लिए लोकतंत्र समर्थक विद्रोही समूह को जिम्मेदार ठहराया है।
सैन्य शासन का विरोध कर रहे विद्रोही समूह ने दावा किया है कि गत शनिवार को म्यांमा के पूर्वी प्रांत शान के दक्षिणी हिस्से में नाम नेइन गांव स्थित बौद्ध मठ परिसर में 22 शव मिले थे। उन्होंने मौतों के लिए सेना को जिम्मेदार ठहराया।
इस पूरे प्रकरण पर किसी निष्पक्ष स्रोत से जानकारी नहीं आई है। सैन्य शासन द्वारा लोगों की आवाजाही पर लगाई गई सख्त पाबंदी की वजह से ऐसी घटनाओं की पुष्टि करना लगभग असंभव है।
यह गांव राजधानी नेपीता से करीब 80 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। यह इलाका पा ओ नस्लीय अल्पंख्यक के स्व शासित क्षेत्र का हिस्सा है। इलाके पर पा-ओ नेशनल ऑर्गेनाइजेशन (पीएनओ) का शासन है जो सैन्य सरकार में साझेदार है जबकि दूसरा गुट विद्रोही समूह का समर्थन करता है।
खबरों के मुताबिक इस घटना की जानकारी पिछले महीने सेना द्वारा पश्चिमी म्यांमा में कई गांवों में चलाए गए अभियान के बाद आई है। आरोप है कि उक्त कार्रवाई में सेना ने कम से कम 17 लोगों का सिर कलम किया या हत्या की।
सैन्य शासन के आलोचकों का कहना है कि पुख्ता सबूत हैं जिनसे साबित होते हैं कि वर्ष 2021 में आंग सान सू की निर्वाचित सरकार को बेदखल कर सत्ता पर काबिज हुई सेना लगातार युद्ध अपराध कर रही है।
सरकार विरोधी समूह और ग्रामीण जो नाम नेइन गांव से भाग गए थे, लेकिन फोन के जरिये मठ से जुड़े थे, ने दावा किया कि पिछले महीने लड़ाई तेज होने पर करीब 30 लोगों ने इमारत में शरण ली थी।
सरकार विरोधी कारेन्नी नेशनलीटीज डिफेंस फोर्स (केएनडीएफ) ने सोशल मीडिया पर तस्वीर जारी की है जिसमें दिख रहा है कि भिक्षुओं के शव मठ की मुख्य इमारत में दीवार के करीब पड़े हैं और उनपर गोलियों के निशान है। दीवार पर भी खून के छींटे और गोलियों के छेद दिखाई दे रही है।
तस्वीरें खींचने वाले कारेन्नी छापामार के स्थानीय नेता ने कहा कि समूह के निशानेबाजों ने राइफल में लगी दूरबीन से देखा कि शनिवार को करीब 100 सैनिक गोलीबारी कर रहे हैं और घरों को आग के हवाले कर रहे हैं।