माले। मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद द्वारा देश में जारी राजनीतिक संकट के समाधान के लिए भारत से सैन्य हस्तक्षेप की मांग के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना वह फैसला वापस ले लिया है जिसमें उसने नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था। इस फैसले को मानने से इन्कार करते हुए राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने देश में आपातकाल लागू कर दिया था और चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद व एक अन्य जज अली हमीद को गिरफ्तार कर लिया था।
राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के जज उनकी सरकार का तख्तापलट करने की साजिश रच रहे थे। इसी बात की जांच के लिए उन्होंने देश में आपातकाल लगाया है। टीवी पर अपने भाषण में राष्ट्रपति यामीन ने कहा, “हमें पता लगाना है कि तख्तापलट की साजिश कितनी गहरी थी।”
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के बाकी तीन जजों ने नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने के पूर्व के फैसले को वापस ले लिया। इन जजों ने एक बयान जारी कर कहा, “राष्ट्रपति द्वारा जताई गई चिंताओं की रोशनी में वे इस फैसले को वापस ले रहे हैं।”
ध्यान रहे कि 2012 में देश के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद के अपदस्थ होने के बाद से ही मालदीव लगातार राजनीतिक संकटों से जूझता रहा है। पिछले गुरुवार को मालदीव में संकट उस समय और गहरा गया, जब सुप्रीम कोर्ट ने नौ राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का आदेश दे दिया।
इतना ही नहीं शीर्ष अदालत ने बंदी नेताओं के खिलाफ चल रहे मुकदमों को भी राजनीति से प्रेरित करार दिया था। जिन नेताओं की रिहाई का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था, उनमें निर्वासित नेता नशीद भी शामिल हैं। आदेश मानने से सरकार के इन्कार के बाद मालदीव की राजधानी व अन्य हिस्सों में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया था। इस पर सरकार ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी।