वाशिंगटन। ईरान के स्ट्रेट ऑफ होर्मुज में ओमान सागर में तेल से भरे दो टैंकरों के
क्षतिग्रस्त होने की घटना ने अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति पैदा कर दी है। पिछले एक
महीने में यह दूसरी बड़ी घटना है।
विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने इस घटना पर सीधे-सीधे ईरान को जिम्मेदार ठहराया है। दोनों देशों के बीच
कूटनीतिक संबंधों के अभाव में यहां इस तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही है कि इन दोनों देशों के
बीच किंचित असावधानी खाड़ी को युद्ध के उन्माद में झोंक सकती हैं।
इस घटना के चंद घंटों बाद पोंपियो ने कहा कि नार्वे और जापान के इन तेल टैंकरों पर ईरान ने लक्ष्य
बनाया है, जो तेल टैंकरों के निर्धारित मार्ग पर गंतव्य स्थान की ओर बढ़ रहे थे। इस संदर्भ में पोंपियो
ने ख़ुफ़िया एजेंसियों की रिपोर्ट को आधार बनाया है। हालांकि ईरान ने इस घटना में किसी तरह का हाथ
होने से इनकार किया है। दोनों क्षतिग्रस्त टैंकरों के चालक दल को सुरक्षित बचा लिया गया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि पिछले महीने मित्र देश संयुक्त अरब अमीरात के सागर में चार तेल टैंकरों को
निशाना बनाए जाने में तेहरान का हाथ था। इसी तरह ईरान सऊदी पाइप लाइन, बग़दाद में अमेरिकी
दूतावास के निकट राकेट से हमला आदि ऐसी घटनाएं हैं, जो उकसाने वाली कार्रवाइयां हैं। उन्होंने कहा
कि जबसे ईरान के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए हैं और उसकी तेल की आपूर्ति को प्रतिबंधों के
कारण बाधित किया गया है, वह लगातार उकसाने वाली कारवाइयां कर रहा है जबकि अमेरिका युद्ध
नहीं चाहता।
यूएस सेंट्रल कमान ने गुरुवार रात जारी एक वीडियो में दिखाया है कि ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी
गार्ड की दो गश्ती नौकाएं तेल टैंकरों की ओर बढ़ रही हैं। इसके बाद अप्रत्याशित तरीके से तेल टैकरों में
आग लगी।
उल्लेखनीय है कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजे आबे ने अमेरिका और ईरान के बीच सुलह वार्ता के प्रयासों
के तहत बुधवार को ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्ला खुमैनी से बातचीत की थी जबकि खुमैनी ने यह
कहकर जापानी प्रधानमंत्री के प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि ट्रम्प भरोसे लायक नहीं हैं।