मसूद अजहर पर प्रतिबंध को लेकर इसलिए चीन अटका देता है रोड़ा

asiakhabar.com | November 3, 2017 | 4:38 pm IST
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massod azhar 03 11 2017

बीजिंग। चीन ने एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र में मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने को लेकर रोड़ा अटका दिया है। चीन का यह कदम भारत के लिए एक बड़ा झटका है, जिसने संयुक्त राष्ट्र में इस बात के पर्याप्त सबूत दिए थे कि पठानकोट के हमलों और साथ ही जम्मू-कश्मीर में पैदा हुए हालातों के पीछे अजहर ही जिम्मेदार है।

बावजूद इसके चीन ने मसूद पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग पर रोड़ा अटका दिया। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया है। जानें कि चीन ने इस बहाने पर प्रतिबंध पर रोक क्यों जारी रखा है कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं है। इसके अलावा वह पाकिस्तान के अन्य आतंकियों पर भी प्रतिबंध पर रोक को लेकर वीटो करता रहता है।

यह है कारण

अधिकारियों का कहना है कि चीन के पाकिस्तान के साथ द्वि-पक्षीय संबंधों के अलावा चीन के कुछ रणनीतिक हित भी हैं। चीन तभी खुद को पाकिस्तान का सुख-दुख का साथी कहता रहता है। अजहर ने खुद चीन को सर्वशक्तिमान कहा है। वह पाकिस्तान में चीन की सभी संपत्तियों की रक्षा करता है यह भी सुनिश्चित करता है कि इस क्षेत्र में भारत सर्वोच्च शक्ति नहीं बने।

भारत के एनएसजी में शामिल होने को लेकर भी चीन हमेशा से रोड़े अटकाता रहा है। एक अधिकारी ने बताया कि यह सर्वोच्च बनने और दूसरे को किनारे पर करने का मामला है। अधिकारी का कहना है कि सभी देश खुलेतौर पर कहते हैं कि आतंक के खिलाफ युद्ध महत्वपूर्ण है। मगर, इस बात पर उनके दृष्टिकोण विभाजित हैं। अफगानिस्तान में दांव बहुत अधिक हैं। वास्तव में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान में अमेरिका के खिलाफ देश की लंबी स्थायी नीति बदल दी है।

अमेरिका ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था क्योंकि पुतिन ने मध्य एशिया में अमेरिका के बेस बनाने को अनुमति दी थी। अफगानिस्तान में चीन का भी एक बड़ा हित है और तालिबान ने हाल ही में दिए गए एक बयान में कहा था कि वह अफगानिस्तान में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लक्षित नहीं करेगा, यह भी महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान में चीन के हित दांव पर हैं और यह नहीं चाहता कि उन्हें इस पर कोई परेशानी हो।

अजहर के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में कोई भी कदम उठाए जाने का मतलब है कि तालिबान के साथ चीन के समीकरण बदल सकता है। तालिबान को जैश-ए-मोहम्मद के बॉस मसूद अजहर का करीबी माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र में भारत का अधिक दबदबा होने से चीन का संतुलन बिगड़ जाएगा। यह सब क्षेत्र में वर्चस्व को लेकर है।


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